मिथिला धरोहर : हिन्दू समाज मे धनतेरस सुख-समृद्धि, यश आ वैभव के पर्व मानल जाइत अछि। अहि दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि के पूजा'क बड़ महत्त्व अछि। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मासक त्रयोदशी तिथि के मनाओल जाय वला अहि महापर्व के बारे म स्कन्द पुराण मे लिखल गेल अछि जे अहि दिन देवता के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन सँ प्रकट भेल छलि, जाहि कारण अहि दिन धनतेरस के संगे-संग धन्वंतरि के पूजा सेहो कैल जाइत अछि। साल १०१७ मे धनतेरस के त्यौहार १७ अक्टूबर के मनाओल जायत।
धनतेरस दिन'क खरीददारी
नवका समानक शुभ आगमन के अहि पावैन मे मुख्य रूप सँ नवका बर्तन या सोना-चांदी खरीदबा के परंपरा अछि। आस्थावान भक्त के अनुसार चूंकि जन्मक समय धन्वंतरि जीके हाथ मे अमृत के कलश छलनी, ताहिलेल अहि दिन बर्तन खरीदनाय बहुते शुभ होइत छैक। विशेष क पीतर के बर्तन खरीदनाय बहुते शुभ मानल जाइत अछि।
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धनतेरस कथा
पौराणिक युग मे हेम नाम के एकटा राजा छल, हुनका कुनो सन्तान नय छल। बहुते कोबला -पाती केलाक उपरांत देव गण केर कृपा सँ हुनका पुत्र के प्राप्ति भेलनि। जेखन ओ पुत्र के कुंडली बनबेलैथ तखन ज्योतिष कहलैथ अहि बालक के बियाहक दसम दिन एकर मृत्यु के योग अछि। इ सुइन राजा हेम अपन पुत्रक बियाह नय करवाक निश्चय केलैथ और अपन पुत्र के एहन जगह भेज देलैथ जतय कुनो स्त्री नय होय। मुदा तक़दीर के आगू केकरो नय चलैय अछि। घनगर जंगल मे राजा के पुत्र के एकटा सुंदर कन्या भेटल। जिनका सँ हुनका प्रेम भ गेल और दुनु गंधर्व विवाह क लेलक। भविष्यवाणी के अनुसार राजा के पुत्रक दसम दिन मृत्यु क समय आबि गेल। राजा पुत्रक प्राण लेबाक लेल यमराज के दूत यमदूत पृथ्वीलोक पर एला। जखन ओ प्राण ल जा रहल छला तहन मृतक के विधवा के कनवा के अवाज सुइन यमदूत के मुन मे सेहो दुःख के अनुभव भेलनि। मुदा ओ अपन कर्तव्य के आगु विवश छला। यम दूत जेखन प्राण ल के यमराज लग पहुँचला, त बहुते दुखी छला, तखन यमराज कहखिन दुखी भेनाय त स्वाभाविक छै, मुदा हम एकर आगु विवश छी एहन मे यमदूत यमराज सँ पुछलनि जे हे राजन की अहि अकाल मृत्यु के रोकबाक कुनो उपाय नय अछि। तखन यमराज कहलैथ जे अगर मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी के दिन कियो व्यक्ति संध्याकाल मे अपन घर के द्वार पर आ दक्षिण दिशा मे दीप जरायत, त ओहर जीवन सँ अकाल मृत्यु के योग हैट जायत। ताहि कारण अहि दिन यमराज के पूजा कैल जाइत अछि।
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कहल जाइत अछि जे अहि दिन यमराज सँ राजा हिम के पुत्र केर रक्षा हुनकर पत्नी केने छलनी, जाहि कारण दीवाली सँ दू दिन पहिले मनाओल जाय वला ऐश्वर्य के त्यौहार धनतेरस पर सांझकाल के यम देव के निमित्त दीपदान कैल जाइत अछि। मिथिला मे अहि दिन के यमदीवाली सेहो कहल जाइत अछि। अहि दिन घर'क साफ-सफाई, निपा-पोति क पवित्र बनायल जाइत अछि और फेर सांझ मे घरक दुनु मोख पर आ छौरक ढेड़ी पर दीप जरा क धन और वैभव के देवी माँ लक्ष्मी के आवाहन कैल जाइत अछि।
(मैथिली अनुवाद - प्रभाकर मिश्रा)
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