कनक भूधर शिखर बासिनी
चंद्रिका चय चारु हासिनि
दशन कोटि विकास बंकिम-
तुलित चंद्रकले ।
क्रुद्ध सुररिपु बलनिपातिनि
महिष शुम्भ निशुम्भघातिनि
भीत भक्त भयापनोदन
पाटव प्रबले ।
जे देवि दुर्गे दुरिततारिणि
दुर्गामारी विमर्द कारिणि
भक्ति नम्र सुरासुराधिप -
मंगलप्रवरे ।।
गगन मंडल गर्भगाहिनि
समर भूमिषु सिंहवाहिनि
परशु पाश कृपाण सायक
संख चक्र धरे ।
अष्ट भैरवी सँग शालिनी
स्वकर कृत कपाल मालिनि
दनुज शोणित पिशित वर्द्धित-
पारणा रभसे ।
संसारबन्ध निदानमोचिनी
चन्द्र भानु कृशानु लोचनि
योगिनी गण गीत शोभित
नित्यभूमि रसे ।
जगति पालन जन्म मारण
रूप कार्य सहस्त्र कारण
हरी विरंचि महेश शेखर
चुम्ब्यमान पड़े ।
सकल पापकला परिच्युति
सुकवि विद्यापति कृतस्तुति
तोषिते शिवसिंह भूपति
कामना फलदे ।
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