सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

कनक भूधर शिखर बासिनी लिरिक्स - Kanak Bhudhar Shikhar Vasini Lyrics

कनक भूधर शिखर बासिनी लिरिक्स - विद्यापति

कनक भूधर शिखर बासिनी
चंद्रिका चय चारु हासिनि
दशन कोटि विकास बंकिम-
तुलित चंद्रकले ।

क्रुद्ध सुररिपु बलनिपातिनि
महिष शुम्भ निशुम्भघातिनि
भीत भक्त भयापनोदन 
पाटव प्रबले ।

जे देवि दुर्गे दुरिततारिणि
दुर्गामारी विमर्द कारिणि
भक्ति नम्र सुरासुराधिप -
मंगलप्रवरे ।।

गगन मंडल गर्भगाहिनि
समर भूमिषु सिंहवाहिनि
परशु पाश कृपाण सायक
संख चक्र धरे ।

अष्ट भैरवी सँग शालिनी
स्वकर कृत कपाल मालिनि
दनुज शोणित पिशित वर्द्धित-
पारणा रभसे ।

संसारबन्ध निदानमोचिनी
चन्द्र भानु कृशानु लोचनि
योगिनी गण गीत शोभित 
नित्यभूमि रसे ।

जगति पालन जन्म मारण
रूप कार्य सहस्त्र कारण 
हरी विरंचि महेश शेखर
चुम्ब्यमान पड़े ।

सकल पापकला परिच्युति
सुकवि विद्यापति कृतस्तुति
तोषिते शिवसिंह भूपति 
कामना फलदे ।

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