रविवार, 9 अक्तूबर 2022

कुसुमित कानन कुंज बसी रे लिरिक्स | Kusumit Kanan Kunj Basi Re Lyrics

Kusumit Kanan Kunj Basi Re Song Lyrics by Vidyapati

कुसुमित कानन कुंज बसी रे,
नयनक काजर घोर मसी रे,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे,
नयनक काजर घोर मसी रे,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे

नख सँऽ लिखलैन्हि नलि निक पाट - 2
लिखिय पठाओल…
लिखिय पठाओल, आखर सार,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे,
नयनक काजर घोर मसी रे,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे

प्रथमहि लिखलैन्हि, पहिल वसंतऽ - 2
दोसरहि लिखलैन्हि…
दोसरहि लिखलैन्हि, तेसर क अंत,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे,
नयनक काजर घोर मसी रे,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे

भनहि विद्यापति, आखर लीखऽ - 2
बुधि जनि होइथ से…
बुधि जनि होइथ से, कहथि बिशेष,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे,
नयनक काजर घोर मसी रे,
कुसुमित कानन कुंज बसी रे,



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