खान-पानक ना-ना प्रकार कहाँ छै।
बैसार करैत ओ दलान कहाँ छै,
चौक-चौराहा, थैर-बथान कहाँ छै।
फगुआ मे ओ रंग कहाँ छै
धिया-पुता मे ओ उमंग कहाँ छै।
आब राम-सीता केर ओ नाम कहाँ छै,
आब मिथिला मे ओ गाम कहाँ छै!
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'
आमक गाछी मे मचान कहाँ छै,
मांछ-भात, पान, माखन कहाँ छै।
तिलकोर, बड़ी - अदौड़ी कहाँ छै,
पौती, सिक्की, मौनी कहाँ छै।
पाग, जनेऊ, खराम कहाँ छै,
आब मिथिला मे ओ गाम कहाँ छै!
कनियाँ-पुतरा के खेल कहाँ छै,
आम, जामुन आ बेल कहाँ छै।
सामा-चकेबा के रीत-रिवाज कहाँ छै,
पराती गावैत ओ अवाज कहाँ छै।
भोरे उठी माँ-पिता के प्रणाम कहाँ छै,
आब मिथिला मे ओ गाम कहाँ छै!
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'
सखी-बहिनपाक हँसी ठिठोली कहाँ छै,
चोर-सिपाही, आँखि-मिचोली कहाँ छै।
भार-भरिया, डोली-कहार कहाँ छै,
धार-पोखैर ओ ईनार कहाँ छै।
आब बाड़ी मे ओ लताम कहाँ छै,
आब मिथिला मे ओ गाम कहाँ छै !
पमरिया केर ओ नाच कहाँ छै,
उखैर-समाठ आ जांत कहाँ छै।
जट-जटिन के खेल कहाँ छै,
भाई-भाई मे आब मेल कहाँ छै।
सुंदर अपन मिथिला धाम कहाँ छै,
आब मिथिला मे ओ गाम कहाँ छै!
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'
Tags : # Kavita Poems
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