शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

मोहन बिनु कौन चरैहैं गैया लिरिक्स - Mohan Binu Kaun Chraihain Gaiya Lyrics

मोहन बिनु कौन चरैहैं गैया,
नहिं बलदेव नहिं मनमोहन रोवहिं यशोदा मौया।

को अब भोरे बछरू खोलिहैं को जैहैं गोठ दुहैया।
एकसरि नंद बबा क्या करिहिं दोसरो न काउ सहैया।

को अब कनक कटोरा भरि-भरि माखन क्षीर लुटैया।
को अब नाचि-नाचि दधि खैहैं को चलिहैं अधपैया।

को अब गोप सखा संग खेलिहैं को ब्रज नागरि हँसैया।
को गोपियन के चीर चोरैहैं को गहि मुरली बजैया।

को अब इत उत तैं घर ऐहैं बबा-बबा गोहरैया।
'लक्ष्मीपति' गोपाल लाल गुण सुमरि-सुमरि पछतैया।

रचनाकार: लक्ष्मीनाथ गोसाई

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