शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

मिथिला मे गूंजय लागल सामा चकेबा के मधुर गीत

मिथिला धरोहर : छठी पावनीक समाप्तिक उपरांत भाई-बहिनक अटूट प्रेमक प्रतीक लोकपर्व सामा चकेबा मे बहिन सब सोन सँ बनल चुगला के गाइर दैत ओकर दाढ़ी मे आइग लगाबय छथि और गीत गाबैत छथि 'चुगला करे चुगली बिलैया करे म्याउ-म्याउ। किछ एहने सामा चकेबा के प्रचलित लोक गीतक संग सामा चकेवा के पावैन शुरू भऽ गेल अछि। कार्तिक पूर्णिमा धरि सामा चकेबा के मधुर गीत सँ मिथिलाक चप्पा-चप्पा गूंजय लागल अछि। मिथिलाक विभिन्न गामक बहिन अपन भाईक दीर्घ एवं सुखमय जीवनक मंगलकामना के संगे मना रहल छथि। सांझ भेलाक बाद बहिन सब सामा चकेबा, सतभईया, चुगला, वृंदावन, चौकीदार, झाझी कुकुर, सभक मूर्ति बासक बनल चंगेड़ी में राखय छथि ताहिक बाद जोतल खेत या बाट (रसता) मे जुटि के पारंपरिक सामा चकेबा के गीत गाबय छथि।

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ओतय खऽर सँ बनल वृंदावन मे आइग लगाबय और बुझाबय के बिध पूरा कैल जाइत अछि। यैह दौरान सखी बहिनपा पूरा उत्साह मे इ बिध केलाक बाद देर राइत सामा चकेबा के मूर्ति के खूब निक सँ श्रृंगार करय छथि ताहि उपरांत सामा चकेबा के खाई लेल हरियर-हरियर धान'क सीस (बालिया) देल जाइत अछि और राइत मे खुलल आकाश मे छोइड़ देल जाइत अछि। पावनिक समापन'क दिन भाई बजरी खाइत बहिनक सब कष्ट के दूर करबाक संकल्प लैत छथि। भाईक द्वारा तोड़ल गेल प्रतिमा के पोखैर , धार या कुनो जला मे भसा कऽ एकर समापन भऽ जाइत अछि

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