मिथिला धरोहर : मिथिला पेंटिंग के गढ़ मानल जाय बला जितवारपुर गामक निवासी और दिवंगत जगन्नाथ झा केर पत्नी बौआ देवी ( Padma Shree Baua Devi, Mithila Painting ) फिलहाल एखन नव दिल्ली मे अपन बेटा संगे रही रहल छथि। मिथिला पेंटिंग क्षेत्र मे अहम योगदान लेल बौआ देवी के पद्मश्री सम्मान २०१७ सँ भेल छनि। अहि सँ पहिने हिनका राज्य और राष्ट्र स्तरीय (१९८६) पुरस्कार सँ सेहो सम्मानित कैल जा चुकल छनि।
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अप्रैल, २०१५ मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपन जर्मनी यात्राक दौरान मेयर स्टीफन शोस्तक के बौआ देवी के पेंटिंग उपहार मे देने छलथि, जाहिक जानकारी हिनका बहुते बाद मे भेंटलनि।
जीवनक ७५ वसंत देखी चुकल बौआ देवी १३ सालक उम्र मे मिथिला पेंटिंग कला सँ जुड़ी गेल छलथि। हिनकर पढ़ाई पांचवीं कक्षा तक भेल छनि। हिनक बियाह मात्र १२ सालक उम्र मे भ गेल छलनि। बियाहक उपरांतो हिनकर कला साधना अनवरत चलैत रहलनि। पेंटिंग बनेबा के प्रेरणा हिनका अपन माँ चंद्रकला देवी सँ भेंटलनि। बियाह मे कोहबर, जनेऊ संस्कार, मंडप आ पूजाक अवशर पर दीबार पर होय बला चित्रकारी देख हिनका मोन मे सेहो पेंटिंग बनेबाक जिज्ञासा जगलनी। प्रारंभिक साल मे प्रति पेंटिंग हिनका डेढ़ रुपया भेटय छलनि, जेकर दाम एखन लाखों मे अछि।
बौआ देवी मिथिला पेंटिंग के ओहि कलाकार मे एक छथि, जे मिथिला पेंटिंग के परंपरागत शैली 'दीबार पर चित्रकारी' के कागज पर उतैर के दुनिया के शोंझा पेश केलनि। हिनक 'नागकन्या श्रृंखला' के ११ टा पेंटिंग दुनियाभरी मे चर्चित भेल अछि।
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जानकारीक अनुसार, बौआ देवी मधुबनी के तेसर महिला छथि जिनका मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र मे इ सम्मान भेटलनि अछि। जहनकी अहिसँ पहिले मिथिला पेंटिंग क्षेत्र मे सीता देवी आ महासुन्दरी देवी के सेहो पद्मश्री सम्मान भेट चुकल छनि।
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