मंगलवार, 2 जनवरी 2018

मैथिली कविता : मिथिलाक__यात्रा

नमो-नमो मिथिला केर  धरती
मिथिला घुमि मन भेल हर्षित।
नमो - नमो   जनकपुर    धाम
माता    सीता    केर    प्रणाम।

ओहि   स्थान  हम  गेलहु यौ  मीता
जतय खेत  सँ  निकलनी माँ सीता।
सीतामढ़ी अछि  हिनक जन्म स्थान
इतिहास  एही  बातक  ऐछ  प्रमाण।

जतय विद्यापति केर जन्म स्थान
मधुबनी   मे  ओ   बिस्फी  गाम।
महादेव   हिनकर   चाकर   बनलैथ
उगना नाम सँ हिनका सब जनलैथ।

मधुबनी मे सौराठ सभा गाछी
एतय भेटय छै जीवन  साथी।
बेनीपट्टी  उचैठा के भगवती  स्थान
भेटलनि एतहि कालीदास के ज्ञान।

मधुबनी मे  एकटा  रांटी  गाम
मिथिला  पेंटिंग  लेल धनवान।
चित्र कला लेल प्रसिद्ध इ बस्ती
एतय कलाकारक बड़का हस्ती।

फेर  गेलो  हम   दरभंगा   जिला
देखलो कामेश्वर सिंह केर किला।
ओहि प्रांगण मे श्यामा, काली स्थान
कल   जोइर्   केर   केलहुं   प्रणाम।

फेर  गेलो बाबा कुशेश्वर  स्थान
जे मिथिलांचल केर बाबा धाम।
फूल,   बेलपत्र,  धुप  आ  बाती
कल जोरि केलहुं कोबला-पाती।

फेर    आगू    केलहुं   प्रसाथन
एलहुं हम नवादा भगवती धाम।
बड़  प्रसिद्ध  अछि  इ  सिद्ध पीठ
बेनीपुर सँ उतर-पश्चिम अवस्थित।

सावन  मे  एलहुं   हम  मुजफरपुर
गरीब नाथ बाबा एतय बड़ मसहूर।
सिमरिया  सँ  आनी   जल  चढेलहुं
हिनक दर्शन क हम गद-गद भेलहुं।

एतय सूय मंदिर आ तारा  स्थान
सहरसा जिला अछि एकर नाम।
एतय महिषी मे मंडन-भारती स्थान
बहल   जतय  शास्त्रार्थ  केर  ज्ञान।

आगू    हम     भागलपुर    एलहुं
मनसा  देवी  केर  दर्शन   केलहुं।
देखलहुं कुप्‍पा घाट, विषहरी स्‍थान
संगे जैन मंदिर,  विशेवशर  स्थान।
            यात्रा जारी अछि..........।
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'

Tags : # Kavita # Poem

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !