मिथिला धरोहर, अररिया : रानिगंज प्रखंड के बसैठी के ऐतिहासिक मतेश्वर शिव मंदिर मिथिला संस्क़ृति आ आध्यात्मिक प्रगति के कलात्मक अभिव्यक्ति अछि। रानीगंज प्रखंड मुख्यालय सँ १२ किलामीटर पूब दिशा मे इ ऐतिहासिक शिव मंदिर स्थित अछि जो बसेटी मठ के नाम सँ लोगक आस्थाक केंद्र बना अछि। १७८४ ईस्वी मे पहुसरा ड्योढ़ी के महाराजा इन्द्रनारायण राय के निधनक उपरांत विदुषी मिथलानी के विधवा महारानी इंद्रावती अपन विलक्षण प्रतिभा सँ बागडोर संभालनी। हुनकर जमींदारी व्यवस्था के अमर गाथा अखनो धरि कायम अछि।
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जानकारीक अनुसार सन १७९५ ईस्वी मे महारानी इंद्रावती बाबाधामक यात्रा सँ एला के बाद बसेटी गांव मे एकटा शिवालय ,चंद्रदीप कुवाँ आ शिव गंगा सरोवर बनेबाक फरमान देलनी। ओहि समय के प्रसिद्ध वास्तु शास्त्र शिल्पकार के बजैल गेल और मंदिर निर्माणक काज शुरू भेल। काशी के प्रख्यात शिल्पी के शिवलिंग और राज पंडित शम्भू नाथ मिस्र के प्रस्तावित पत्र तैयार करबाक लेल कहल गेल।प्रस्तावित पत्र के दस श्लोक एखनो मंदिरक मुख्य द्वार पर चिपकल अछि। अहि मे दसटा श्लोक अछि जे संस्कृत आ तिरहुत भाषा मे अछि। अहिमे राजा इन्द्रनारायण राय के बांसवाली, आ मंदिर निर्माणक तिथि अंकित अछि। सन १७९७ ईस्वी के फागुन षुल्क के दुतिया तिथि के अहि मंदिर मे प्राण प्रतिष्ठाक संग शिवलिंग के स्थापित कैल गेल, अहि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान मे सैकड़ो वैद, राजा महाराजा, छोट जमींदार, आ हजारो सर्द्धालुक उपस्थिति छलाह। अहि ऐतिसाहिक शिव मंदिर के खासियत इ अछि जे बाहर सँ देखबा पर तीन अलग अलग गुम्बज सँ तीन मंदिर दिखाई पडैत अछि मुदा भीतर जेबा पर एकेटा मंदिर अछि। इ अद्भुत शिल्पकारी के नायाब नमूना अछि।
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