शिवहर सँ पांच किलो मीटर पुब सीतामढ़ी एनएच 104 पथ मे देकुली स्थित बाबा भुवनेश्वर नाथ मंदिर ( Bhuvneshwar Nath Mandir, Dekuli Dham Shivhar ) मिथिलाक पौराणिक धरोहर'क संगे जिलावासि के आस्था'क केंद्र छथि। द्वापर काल मे निर्मित अहि मंदिर मे शिवहर के पड़ोसी जिलाक संगे नेपाल धरिक लोग पूजा अर्चना आ जलाभिषेक लेल आबय अछि।
अहि मंदिरक धार्मिक महत्व'क बारे मे कहल जाइत छैक जे इ मंदिर एकेटा पत्थर के तराइश के बनायल गेल अछि। अहिमे स्थापित शिव लिंग भगवान परशुराम केर तपस्या सँ प्रकट भेल छथि जे आदि काल सँ बाबा भुवनेश्वर नाथ केर नाम सँ प्रचलित छथि। शिव लिंग केर अरघा'क निचा अनंत गहराई अछि। जाहिके मापल नै जा सकैत अछि।
जानकारक कहब छैक जे सन १९५६ मे प्रकाशित अंग्रेजी गजट मे अहि धाम के चर्चा करैत उल्लेख कैल गेल छल जे नेपाल के पशुपति नाथ आ भारत के हरिहर क्षेत्र मंदिरक मध्य मे देकुली बाबा भुवनेश्वर नाथ मंदिर अवस्थित अछि। कोलकत्ता हाई कोर्ट के एकटा फैसला मे सेहो ‘अति प्राचीन बाबा भुवनेश्वर नाथ मंदिर देकुली धाम’ उल्लेखित अछि।ग्रामीण बताबय छथि जे मंदिरक पश्चिम एकटा पोखैर छै जेकर खोदाई १९६२ ई. मे चैतन्य अवतार जिलाक छतौनी गावं निवासी महान संत ‘प्रेम भिझु जी महाराज करवेने छलथि। जाहिमे द्वापर काल पत्थर आ धातु के मूर्ति भेटल छल। जाहिके मंदिरक प्रांगन मे मुख्य द्वार के दाहिना दिस अति प्राचीन मौलश्री वृक्षक जड़ीक ल'ग स्थापित कैल गेलनि।
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जमीनक सामान्य स्तर सँ करीब १५ फिट ऊपर अवस्थित उक्त शिव मंदिर के उत्तर पश्चिम कोण मे माता पार्वती, दक्षिण मे भैरोनाथ, पुब दक्षिण मे माता पार्वती आ पुब दक्षिण के कोण में हनुमान जी केर मंदिर अछि। मंदिरक पूब करीब १२ फिटक नीचा खोदाई केला पर ग्रेनाईट पत्थर सँ बनल अवशेष प्राप्त होइत अछि। कहल जाइत छैक जे कुच्छ वर्ष पहिले अहि मंदिर के पश्चिम खोदाई मे एगो नरक काल प्राप्त भेल छल। जाहिक अग्रबाहू के लम्बाई १८ इंच सँ बेसी छल। अहिके पौराणिक आ धार्मिक महत्व के बारे मे कहल जाइत छैक जे भगवती सीता केर संग पाइन ग्रहण संस्कार के उपरांत जाहि स्थान पर श्री राम के परशुराम केर कोप'क शिकार भेल परल छलैन ओ जगह कोपगढ़ गाँमक नाम सँ जानल जाय लागल। जेतय परशुराम केर मोह भंग भेलनि। ओतय मोहारी गाँव बसल अछि।
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राम एवं परशुराम केर आपसी प्रतीती के पश्चात परशुराम जी राम केर भुनेश्वर नाथ (शिव) केर दर्शन करेलनी जाहि कारन शिव आ हरी के इ मिलन क्षेत्र शिवहर के नाउ सँ जानल जाय लगल। ओतय द्वापर काल मे कुलदेव के द्रोपदी द्वारा संपूजित कैल जेबाक कारण अहि जगह'क नाउ देकुली परल। ओना अहि बारे मे अन्य कतेको कथा प्रचलित अछि। धाम सँ सटल उत्तर मे युधिष्ठिर के ठहरबा'क उपरांत ६१ पोखैर (तालाब) खोदायल गेल छल जे विभिन्न नाय सँ प्रचलित छल, मुदा बागमती नदी के कटाव मे अस्तित्व हीन भ गेल।
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