मंगलवार, 28 सितंबर 2021

लोक देवता दिना भदरी के लोकगाथा - दोसर भाग

दीना-भद्री के गाथा ( प्रथम भाग ) मे दूनु भैयारी मनुसदेवा (पूजित मृतात्मा ) बैन के आबैत अछि आ फेर संघर्ष करैत अछि। मुसहर आयो अपन अहि नायक के वापस एबाक बाट ताकैत अछि।


राजा कनक सिंह के मृत्य के घाट उतारबाक उपरांत दीना-भद्री राजपूत जाति के सामंत जोराबर सिंह के लऽग पहुंचैत छथि जे कुनौली बाजारक सामंत अछि। ओ कुनौली मे बसल सात सौ मुसहर परिवार पर अत्याचार करैत छल, अपना खेत मे जबरदस्ती बेगारी कराबैत छल। इ जानकारी जहन दीना-भद्री के भेटय अछि तऽ जोराबर सिंह के युद्ध के लेल ललकारैत अछि आ ओकरा माइर क मुसहर परिवार कऽ ओकर अत्याचार सं बचबैत छथि।

कुनौली बाजार मे एकटा बनिया रहैत छल जेकर नाम रूपचनमा छल। ओ बड़का बेईमान आ सूइदखोर छल। दीना-भद्री के दाह संस्कारक बाद हुनकर पत्नि हंसा और संझा परंपरानुसार भोज-भात के लेल गांव-जवार के लोग के आमंत्रित केलनि। ताहिलेल दूनु गोतनी बियाहक समय अपन-अपन घर सं खोंइछा मे भेटल चाऊर के, जे गोंसाईक आगू राखल छल, लऽ के कुनौली बाजार बेचय रूपचनमा के दुकान पर पहुंचल ताकि भोजक सामान खरीद सकै।

प्रेतात्मा बनल दीना-भद्री हुनक रक्षा के खयाल सं योगी के भेष धऽके हुनका पाछु-पाछु रूपचनमा के दुकान धरि पहुंच कऽ ओकरा सं किछ दूर चौबटिया पर बैस गेला। हंसा आ संझा रूपचनमा के सोंझा चाऊरक गेठरी राखय छथि ताकि बदला मे ओ सामान लऽ सकै। रूपचनमा हुनका औरत जैन बेवकूफ बनेबाक चालाकी करैत अछि। ओ बाट-बटखरा के खेल कऽ के चौबीस पसेरी चाउर कऽ चौबीस सेर तौलैत अछि। इ देख कऽ दूनु गोतनी छाती पीटय लागैत अछि ओ घर सं तऽ बारह-बारह पसेरी चाउर आनने छली, ओ बारह-बारह सेर कोना भऽ गेल ?

योगी बनल दीना-भद्री रूपचनमा के साबटा खेल देख रहल छल। ओ इ देख रहल छलाह जे चौबीस पसेरी के चौबीस सेर बनेलाक बाद रूपचनमा केना हंसा-संझा के समान दैत समय आधा सेर के एक सेर बना रहल छल, पचीस रुपये किलो मसाला कऽ पचास रुपये किलो बना रहल छल।

दीना-भद्री योगीमल किरात के स्मरण करैत छथि आ योगीमल जहन ओतय प्रकट होइत छथिन तहन हुनका सं रूपचनमाक सबटा खेल बताबैत छथि। पूरा बात जाइन रूपचन कऽ सबक सिखेबाक लेल योगीमल अपन मंतर सं माखी कऽ रूप धऽ कऽ रूपचनमा के पलड़ा पर बैस जाइत अछि। रूपचनमा जहन हंसा-संझा के चाउरक बदले समान दैय लागैत अछि तहन दूनु पलड़ा बराबर नै होइत अछि। एक-एक कऽ के रूपचनमा दुकानक सबटा सामान पलड़ा पर दऽ दैत अछि आ आखिरकार जहन ओ हंसा-संझा के आनल दूनु गेठरि सेहो पलड़ा पर राखैत ऐछ तहन जा कऽ दूनु पलड़ा बराबर होइत अछि। रूपचनमा अहि घटना सं हतप्रभ भऽ कऽ बैस जाइत अछि ओहि समय ओकर नजैर चौबटिया पर बैसल दूनु योगि पर पडैत अछि। ओकरा अपन गलती कऽ आभास होइत ऐछ। ओ दौड़ कऽ योगी लऽग जाइत अछि आ अपन गलती के लेल क्षमा मांगैत अछि। तहन योगी वेषधारी दीना-भद्री कहैत छथि जे  हंसा-संझा जे चाउर लऽ कऽ आयल छली ओकरा बदले उचित तौल आ उचित सामान दे, तखने तहर खैर छौ। रूपचनमा वैह करैत अछि। अहि तरहे भोज संपन्न होइत अछि।

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◆ एक बेराक बात अछि, दीना-भद्री भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लेल जगन्नाथपुरी मंदिर पहुंचैत अछि, मुदा मंदिर के पुजारी हुनका अछूत कैह मंदिर प्रवेश सं रोइक दैत अछि। दूनु भैयारी सात दिन सात राइत मंदिरक बाहर भूखे-प्यासे पड़ल रहैत अछि ताकि हुनका कुनो तरहे भगवान जगन्नाथ के दर्शन होइन। मुदा हुनका दर्शन कऽ अवसर नै भेटय अछि। थाइक-हारी दूनु भैयारी मंदिरक आधार स्तंभ के अपन छाति सं हिलेनाय शुरू करैत अछि जाहिसँ पूरा मंदिर दरकय लागैत अछि। अहि स्थिति सं घबरा कऽ भगवान जगन्नाथ दीना-भद्री के समक्ष उपस्थित भऽ दर्शन दैत छथिन। अहि दर्शन सं दीना-भद्री के प्रेत योनि सं मुक्ति भेट जाइत अछि।

◆ एकता अन्य गाथाक मुताबिक दीना-भद्री मगध क्षेत्र मे दु टा वीर पहलवान हंसराज आ वंशराज सं सेहो युद्ध लड़लैथ आ दूनु कऽ माइर कऽ विजयी भेलैथ।

एक बेराक बात अछि, मिथिला के राजा मगध गेलैथ। ओतय हुनका हंसराज आ वंशराज के शक्ति बारे मे पता चललैन जे दूनु मुसहर भैयारी दु कट्ठा खेतक माइट देखते-देखते काइट लैत अछि। तखन ओ अपन राज्य मे अवस्थित नरुआर गांव मे एकटा पोखरी खुनेबाक लेल दूनु कऽ बजेलक। दूनु पोखैर खोइद देलक, मुदा पूजा-पाठ कऽ बाद जखन पोखैर मे जांइठ गाड़बाक बारी आयल, तहन ओ दूनु भैयारी जांइठ कऽ उठा नै सकल। वैह जांइठ कऽ दीना-भद्री आसानी सं उठा कऽ ओकरा पोखैर मे अहि तरहे सं फेंकलैथ जे ओ पोखरिक बीचों-बीच जा कऽ धैस गेल। अहि घटना सं दूनु भैयारी अपमानित महसूस करैत ऐछ आ दीना-भद्री के युद्ध लेल ललकारैत ऐछ। चारुक बीच भीषण युद्ध होइत ऐछ जाहिमे हंसराज आ वंशराज हाइर जाइत अछि।

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◆ एकटा और अन्य कथा, दीना-भद्री मिथिलाक सिंहेश्वर स्थान मंदिर के पवित्रता भंग करबाक लेल आयल अघोरी बाबा के सेहो पराजित करैत अछि। अहि सिंहेश्वर स्थान मंदिर मे सब वर्ष भव्य मेला लागैत अछि। एक बेरा ओहि मेलाक समय पांचोनाथ अघोरी बाबा सिंहेश्वर स्थान मंदिर पहुंचैत अछि, मुदा ताबेधरि मंदिरक पट बंद भऽ जाइत अछि। अघोरी बाबा कहैत अछि जे अगर महादेव के दर्शन नै भेल तऽ ओ मंदिर कऽ उखाइर कऽ फेंक देबै। अहिसँ सिंहेश्वर महादेव घबरा गेलैथ आ ओ देवता सं सहायता मांगलैथ मुदा सब देवता असहाय छलैथ। अंत मे राजा सलहेस हुनकर सहायताक लेल एलैथ। सलहेस अघोरी बाबा के लऽग पहुंचैत  अछि तऽ देखैत छथि जे चौबीस कट्ठा मे हाथी सदृश अघोरी बाबा सुतल छल। जहने राजा सलहेस लऽग  पहुंचैत छथि अघोरीनाथ अपन सांस खींच कऽ आ सांस कऽ वेग सं सलहेस हुनका नथुना मे खिंचय लागैत छथि। घबरा कऽ सिंहेश्वर महादेव लऽग मे पड़ल पुआरक टाल मे सं पुआल लऽ अघोरी बाबा  के नाक मे ठूंइस दैत छथिन जाहिसँ अघोरी बाबा  कऽ छींक आबि जाइत अछि आ सलहेस छींक कऽ कारण नाथुन सं बाहर आबि जाइत छथि। 

सिंहेश्वर महादेव के लागय छनि जे आब ओ मंदिर नै जा पेता, ताहिलेल ओ सलहेस के सांत्वना दैत कहैत छथिन जोगिया नगर मे कालू सदाक बेटा ऐछ दीना-भद्री। ओ हमर सहायता कऽ सकैत ऐछ। ओतय चलु। दूनु गोटे फेर जोगिया नगर पहुंचैत छथि आ दीना-भद्री सं सहायता मांगैत छथि। दीना-भद्री, बाबा सिहेश्वर आ सलहेस के संगे सिंहेश्वर स्थान पहुंचैत छथि आ अघोरी बाबा सं घनघोर युद्ध करैत अछि जाहिमे अघोरी बाबा पराजित होइत अछि आ दीना-भद्री हुनक सिर काइट कऽ सिंहेश्वर महादेव के रक्षा करैत छथि। 

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