छवि साभार - अक्षय आनन्द सन्नी |
लोक देवता दीना भद्री ( Dina Bhadri Story ) के कथा मिथिलांचल, सीमांचल क्षेत्रमे मुसहर अर्थात सदा जातिक दूनु भैयारीक लोकगाथा जन-जनमे संघर्षक कथाक रूप में चर्चित अछि। श्रम एवं संघर्ष के द्वारा समाज मे व्याप्त अत्याचार, अनाचार आ शोषण के खत्म करबाक लेल अपन प्राण गंमा देनिहार दलित वीर के कथा अछि दीना भद्री।
लोककथाक अनुसार दिना आऽ भद्रीके जनम नेपालक सप्तरी जिला स्थित जोगिया गाममे कालु सदा आ नीरसो कोखि सऽ भेलनि। दिना जेठ आऽ भद्री छोट छल। बाल्यकालसऽ दूनु भैयारी बीर आ साहसी छल । दूनु भाइ कुस्ती खेलए मे माहिर छल। लोकगाथा मे वर्णन भेल अनुसार भैया दिना आऽ भाइ भद्री पाँच मनके कोदारि चलवैत छलैथ।
दिना भद्री दूनु भैयारी के विआह नेपाल के सप्तरी जिलाक बरहा गामक फुकन सदाक बेटी हंसा आ संझा संग भेल छल। दूनु भाइ सामन्ती प्रथाके कट्टर विरोधी छल। जोगिया नगर के राजा कनक सिंह धामि छल। ओ बहुते बड़का अत्याचारी आ निरंकुश छल आ राज्य मे रहय बला मुसहर सहित उपेक्षित, उत्पिडित प्रजा सं बेगारी कराबैत छल। जे कियो भी बेगारी नै करैत, ओकरा पर राजा शोषण, दमन एवम् अत्याचार करैत छल।
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राजा कनक सिंह धामि के एकटा बहिन छल जेकर नाम बचिया छल जे तंत्रमंत्र मे सिद्धहस्त छलीह। ओ दीना-भद्री के नीचा देखेबाक उद्देश्य सं अपन भाई सं कही के एकटा पोखैर और अपन जादू सं ओहिमे पनियांदराज के एक जोड़ा द देलक। अहि तरहे जे भी व्यक्ति ओय पोखैर मे स्नान के लेल आबैत छल पनियांदराज ओकरा डंइस लैइत छल। जे जानवर ओहिमे पइन पीबाक लेल जाइत त ओकरो डंइस लैइत छल। जहन नगरक लोग के ओहि समस्या के पता चलल त निजात पेबाक लेल के दीना-भद्री के पास गेल। लोगक आग्रह पर दूनु भैयारी पोखर सं सबटा मरल जानवर के बाहर निकाइल देलक जाहिसँ नगर वासिके राहत भेटल।
अहि घटना सं बचिया खुद के बहुते अपमानित महसूस केलक। ओ दीना-भद्री के सबक सिखेबाक लेल षडयंत्र रचय लगली। ओ अपना भाई राजा कनक सिंह धामि के दीना-भद्री सं बेगारी करेबाक लेल उकसेलक। राजा अपन चौर बरेला मे तमाम प्रजा के बेगारी मे खेती करबाक हुक्म देलक। जखन लोग बेगार कऽ रहल छल तहन बचिया अपन मंत्र सं एकटा बुढ़िया के वेश धारण कऽ चौर पहुंच बड़बड़ाबै लागैत छली जे केहन बेवकूफ गिरहत छैक। हरवाहा के संगे-संग दु गो जवान कुदाइर चलाबय बला सेहो बजा लैतै तऽ ओ खेतक आड़ी के निक सं काइट कऽ मिला दैतै। बुढ़िया बनल बचिया हरवाहा के सेहो इ सुनेलक आ कहलक जे कनक सिंह धामि के इ कहिए जे जोगिया नगर मे कालू सदा के बेटा दीना-भद्री बहुते बलशाली अछि। ओकरा बजा लाबइ कुदाइर चलेबाक लेल।
अहि बीच कनक सिंह धामि चौर बरेला पहुंचैत अछि जतय हरवाहा ओहि बुढ़िया द्वारा कहल बात राजा के बताबैत अछि। हरवाहा के बात सुइन आगबबूला राजा ताड़क बारह पसेरी के छड़ी लऽके दीना भद्री के घर पहुंचैत अछि। दीना-भद्री के मां निरसो चनन गाछक नीचा बैस कऽ पथिया बूइन रहल छली। कनकसिंह निरसो सं पूछैत अछि जे तोहर बेटा कहां छउ ? निरसो डरक मारल चुप्पी साइध लइत अछि। निरसो के चुप्पी सं खौंजा कऽ कनक सिंह ओकरा अपन जूता सं मारैत अछि जाहिसँ निरसो मुंहक बल गिर जाइत अछि आ जोर-जोर सं विलाप करै लागैत अछि। दीना-भद्री तहन घरे मे सुतल छल। भद्री सपन मे देखैत अछि जे ओकर मां जोर-जोर सं काइन रहल अछि। भद्री हड़बड़ा कऽ उठैत अछि आ दीना के सेहो जगाबैत अछि। दूनु भैयारी अपन मां के देखय गाछक लऽग जाइत अछि तऽ देखै अछि जे ओ जोर-जोर सं विलाप कऽ रहल अछि। निरसो पूरा बात दीना-भद्री के कहैत अछि तऽ दूनु भैयारी तामस सं भैर जाइत अछि। तहने दीना-भद्री के नजैर राजा कनक सिंह पर परैत अछि जे ओतय सं जा रहल छल। ओ दौड़ कऽ जाइत अछि आ राजा के पीठ पर फांद कऽ ओकरा डांर पर पैर मारैत अछि आ ओकरा पटैक दैत अछि। तहन कनक सिंह अपन जेबी सं जादू कऽ किताब निकाइल कऽ साबरमंतर (एक तरहक जादू) पढ़य लागैत अछि, मुदा एहिसँ पहिले कि ओ अपन जादू सं दीना-भद्री पर प्रहार कऽ पेतै, दूनु भैयारी ओकरा पर हमला कऽ दैत अछि। तखन कुनो चारा नै देख, राजा कनक सिंह ओतय सं भाइग खड़ा होइत अछि। एकरा बाद दीना-भद्री चौर बरेला जा कऽ बेगारी कऽ रहल लोग सं काज बंद करवा दैत अछि आ लोग सब के बेगारी खटय सं छुट्टी भेट जाइत अछि।
दीना आ भद्री के जान सं मारबाक नीयत सं बचिया तखन राजा सलहेस आ दीना-भद्री के आराध्य देवी बहोसरि सं छलपूर्वक इ प्रतिज्ञा करा लैइत अछि जे ओ दूनु बचिया के उद्देश्य पूर्ति मे सहायक हेति। जहन राजा सलहेस आ देवी बहोसरि के पता चलैत अछि जे बचिया दीना-भद्री के हुनका हाथों मृत्यु के शपथ करा लेलक तऽ ओ दूनु बहुते दुखी होइत छथि। चूंकि दूनु प्रतिज्ञा केने छलथि ताहिलेल ओ दूनु दीना-भद्री के मारबाक षडयंत्र मे नै चाहितों शामिल होइत छथि। देवी बहोसरि दूनु भैयारी के सपना मे बताबै छथि कटैया खाप नामक जंगल मे एकटा सुआर मरल पड़ल अछि। दूनु भैयारी ओहि जंगल मे जेबाक लेल तैयार होइत अछि। माता निरसो के ननिहाल भेज कऽ आ अपन मामा बुहरन के संगे लऽक दीना-भद्री कटैया खापक दिस प्रस्थान करैत अछि। जंगल मे बहुते खोजलो पर हुनका सूअर नै भेटैत अछि। बुहरन गाछ पर चैढ़ कऽ देखैत अछि जे दूर मे एकटा हिरणक बच्चा अछि। दूनु भैयारी ओहि बच्चा लऽग जाइत अछि, तहन हिरणक बच्चा बाघ बैन जाइत अछि आ दीना-भद्री सं ओकर लड़ाई शुरू भऽ जाइत अछि। एक-एक कऽके सबटा खत्म भऽ जाइत अछि मुदा लड़ाई खत्म नै होइत अछि। अंत मे दूनु भैयारी ओहि बाघ सं शारीरिक युद्ध करै लागैत अछि आ बाघ'क शरीर के दु भाग मे चीर दैत अछि। तहन राजा सलहेस ओतय गीदड़ बैन उपस्थित होइत छथि आ बाघ के अलग-अलग शरीर कऽ एक कऽ दैत अछि जाहिसँ बाघ जिंदा भऽ जाइत अछि।
सात दिन आ सात राइत युद्ध चलैत अछि जाहिमे बाघ जीत जाइत अछि, दीना-भद्री मइर जाइत छथि। जंगल मे दूनु भैयारी लहाश पड़ल रहैत अछि, कियो अंतिम संस्कार करय बला ओतय नै अछि। अंतिम संस्कार नै भेला सं दूनु भैयारी प्रेतात्मा बैन जाइत अछि आ अपन संस्कार के तैयारी में जुइट जाइत छथि। प्रेतात्मा बनल दूनु भैयारी मुनष्य वेश धारण कऽ मुसहरक बस्ती एकौशी पहुंचैत अछि आ बस्ती कऽ लोगक समक्ष जंगल मे पड़ल दीना-भद्री के शव कऽ अंतिम संस्कार के प्रस्ताव राखैत अछि। एकौशी के लोग दीना-भद्री के प्रस्ताव के अस्वीकार कऽ लैत अछि। तहन दीना-भद्री एकटा फकीर के वेष धऽ कऽ अपन गांव पहुंचैत छथि आ एकटा वणिक के सबटा खिस्सा कहै छथि। ओहिके बाद कफन आ एवं दाह-संस्कार के अन्य सामग्रि के प्रबंध होइत अछि, दाह संस्कार संपन्न होइत अछि आ फेर भोजक आयोजन कैल जाइत अछि।
दीना-भद्री के प्रेतात्मा बनबाक पश्चात अनेक छोट-छोट कथा जुडैत अछि। लोककथाक अनुसार दाह-संस्कार सं पूर्व दीना-भद्री प्रेत योनी मे समाजक भलाई के लेल अनेक लड़ाई लरैत अछि आ बुराई के खिलाफ हुनक संघर्ष तेज होइत अछि जेना, सबसं पहिले बचिया के पीछा करैत अछि तऽ बचिया दीना-भद्री सं बचबाक लेल कोशी पर भागय चाहैत अछि, मुदा दीना-भद्री ओकरा पकैड़ लैत अछि आ तलवार सं ओकर गरदैन काइट दैत अछि। ओहिके बाद राजा कनक सिंह धामि के लऽग पहुंचैत अछि आ युद्ध कऽ के राजा आ रानी के माइर दैत अछि।
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