मधुबनी : सुनबा मे लोग के भले ही अचरज होइन या सहजे विश्वास नै होइन, मुदा मधुबनी जिलाक हरलाखी ( Harlakhi ) मे एखनो भगवान श्रीराम केर चलायल तीर मौजूद अछि। लोग एखनो अहि तीरक श्रद्धा सँ पूजा अर्चना त क रहल छथि, मुदा अहिके संरक्षण या देखरेखक पहल नै भ रहल अछि।
बताओल जा रहल अछि जे चाइर सौ साल सं बांस मे बैंह के अहि देव तीर के लटका क रखल गेल अछि। अहिके पूजा अर्चना निरंतर जारी अछि। जाहि स्थल पर भगवान श्रीराम केर तीर अछि, ओ स्थल फुलहर गांव के बाग तराई नाम सं जानल जाइत अछि। अहि बात के प्रामाणिकता के ल स्थानीय मंदिर के पुजारी सं ल के गांव के ब'र बुजुर्ग के कहबा के संगे सदि सं परिक्रमा डोला मे देश विदेश सं आबय बला श्रद्धालु, विद्वान के पूजा अर्चना और शास्त्रोक्ति सेहो अछि। रामायण मे सेहो बाग तराई के जिक्र गोस्वामी तुलसी दास केने छथिन। वर्तमान मे एकटा बांस पर चक्र रूपी तीर अछि। अहिके तीन हिस्सा मे चंद्राकार तीर बनल अछि। इ कोन धातु सं बनल अछि, एकरा एखन धरि नै त परखबा के कोशिश कैल गेल आ नै अहि दिशा मे पहल। मुदा खुजल हावा, पैन मे सदि सं भेलाक बादो अहिमे एखन धरि कुनो प्रकार के नै त जंग लागल अछि और नै एकर रंग मे कुनो बदलाब।
परिक्रमा डोला मे आयल श्रद्धालु करैत छथि पूजा : सालों सं अहि तीर के पूजा होइत आबि रहल अछि। सब साल विश्व प्रसिद्ध 84 कोसी परिक्रमा मे अयोध्या आ देश विदेश सं आयल विद्वान आ श्रद्धालु अहि जगह ठहरै छथि, एतय सं परिक्रमा मेलाक शुरुआत सेहो होइत अछि।
जानकी कुंड के खुदाई मे भेटल इ तीर, कोन धातु के बनल अछि एकर अखन धरि प्रमाण नै अछि। मुदा 4 सौ साल सं बाहर हेबाक बादो जंग नै लागल।
राम-सीता विवाह आ प्रथम मिलन सं जुड़ल अछि तीर के कहानी
श्रीराम माता जानकी सं बियाह लेल जनकपुर पहुंचलाह त सीता केर सखि कहली जे यदि अहाँ वीर छि त प्रमाण दि'अ, एकरा लेल सखि कहली जे अहाँ तीर के माध्यम सं हमरा ओहि स्थल के बारे मे बताऊ जतय अहाँ माता सीता सं पहिल बेरा भेटल छलहुँ। वापस तीर ओहि जगह सं लौटी क अहाँ लग आबि जायत, त अहाँक वीरता के मैन लेब, भगवान श्रीराम सखि के म'न रखबाक लेल इ शर्त मानी लेने छलथि।
दोसर दिस सखि सब माता सीता सं कहलैन जे अहाँ अपन सखि के संग दि'अ। एहन यत्न करु जे श्रीराम द्वारा छोरल गेल तीर वापस नै लौटय। यैह भेल। कहल जाइत अछि जे श्रीराम द्वारा छोरल गेल तीर बाग तराई के समीप बनल जानकी कुंड मे आयल जरूर, मुदा माता सीता केर कारण ओ आपस नै लौटल, इ वैह तीर अछि।
राम सीता केर मिलन आ हुनक जीवन लीला के कहानी के जुड़ाव फुलहर सं अछि, एकर प्रमाण रामायण मे सेहो अछि। रामायाण के बालकांड मे दोहा 227 मे तुलसीदास जी लिखने छथि
''बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत,
परम रम्य आराम यहु जो रामहि सुख देत''
एहिसँ पहले पंक्ति मे लिखल अछि
''मध्य बाग सर सोह सुहावा,
मनि सोपान बिचित्र बनावा,
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा,
जलखग कूजत गुंजत भृंगा''.
दरभंगा महाराज करने छलथि जानकी कुंड के खुदाई
दरभंगा महाराज के समय मे फुलहर बाग तराई के समीप बनल जानकी कुंड के खुदाई कराओल गेल छल। अहिमे कतेको प्रकार के सामान निकलल छल। अहि मे इ चक्र रूपी तीर सेहो छल। एकरा स्थानीय लोग दरभंगा महाराज सं कुनो तरहे मांगी लेने छल। तहिया सं आय धरि इ तीर एनाही राखल अछि।
हं सब साल राम नवमी के दिन अहि तीर के उतैर के ओहिमे घी, सिनुर लगायल जाइत अछि। नबका बांस मे ध्वजा बना के ओकरा दुबारा लटका देल जाइत ऐछ। बताओल जाइत अछि जे अहि चक्र रूपी तीर मे घी आ सिंदूर लगायल जाइत अछि त इ सोना जँका चमकय लागय अछि।
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