मिथिला धरोहर : मिथिला चित्रकला के कलाकार दुलारी देवी ( Dulari Devi ) के जन्म मधुबनी जिला अंतर्गत रॉटी गामक एक मलाह परिवार मे २७ दिसंबर १९६७ के भेल छलनी। दुलारी के पिता मुसहर मुखिया आ भाई परीक्षण मुखिया माछ पकड़बाक काज करैत छलैथ आ मां धनेश्वरी देवी दोसरक घर मे खेत खरिहान मे मजदूर करै छलथि।
जेना की ओइ दिन प्रचलन छल, १२ सालक उम्र मे दुलारी के बियाह मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी प्रखंड के बलाइन कुसमौल गाँव मे भ गेलनि। मुदा दुलारी के दामपत्ये जीवन सुखद नै रहलनि और नैहर एलि आ ओतय भ के रहि गेलथि। नैहर मे मिथिला पेंटिंग के सुप्रसिद्ध कलाकार महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी के एतइ दुलारी के ६ रु महीना पर झाड़ू-पोछा के काज भेटलनि। काज सं जहन समय भेटैन, त महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी के पेंटिंग बनाबैत ध्यान सं देखए छलथि। हुनका सब के देख दुलारी के मोन मे सेहो पेंटिंग बनेबाक लालस जगलनी।साँझ के घर लौटला के बाद अपन अंगना के पाइन सं भिजा क करची सं पेंटिंग बनाबए छली। इ काज कतेको महीना धरि चलैत रहल।
संयोगवश, ओहि दिन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा महासुंदरी के आवास पर मिथिला पेंटिंग मे ६ मासके प्रशिक्षण शुरू कैल गेल। महासुंदरी देवी केर पहल सं दुलारी के सेहो प्रशिक्षण मे शामिल क लेल गेलनी। महासुंदरी देवी अपन सान्निध्य मे दुलारी के सीखेनाइ सुरु क देलनि। फेर त दुलारी के कल्पना उड़ान भरइ लगलनि। दुलारी के मेहनत रंग अनलनी और मिथिला पेंटिंग की तत्कालीन दुनिया में भली-भांति परिचित भ गेली फेर पाछु घुइम के नै देखलनि।
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ओहि समय धरि उच्च जातिक महिला ज्यादातर पौराणिक कथा रामायण आ महाभारत तथा दलित महिला राजा सहलेस सं जुड़ल प्रसंग के अपन चित्र मे उकेरै छलथि। मुदा दुलारी देवी परम्परा सं चली आबि रहल चित्र के नै अपनेलनी। इ अपन चित्र मे नव भाव के सात विषय के चुनाव मे नवीनता अनलनी।
दुलारी देवी के मिथिला पेंटिंग के कचनी शैली (रेखा चित्र) मे महारथ हासिल छनि। पातर डहीर (लकीर) सं चित्र आकार द रंगक जाहि कुशलता सं सम्मिश्रण करए छथि, ओ सर्वथा मौलिक होइत अछि हिनक चित्र मे, प्रेम आ समानता के सुंदर अभिव्यक्ति देखबाक भेटय अछि।
ललित कला अकादमी सं वर्ष १९९९ मे भेटल सम्मान आ उद्योग विभाग सं वर्ष २०१२-१३ मे बिहार सरकार के प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार भेटबाक उपरांत दुलारी देवी के उत्साह और बढ़लनी। देशक दोसर राज्य सं सेहो हुनका बुलावा आबय लगलनि। कला माध्यम नामक संस्था के माध्यम सं बेंगलुरु के विभिन्न शिक्षण संस्थान सरकारी आ गैर सरकारी भवन'क की दीवार पर ५ साल धरि चित्रण केलथि। फेर मद्रास, केरल, हरियाणा, चेन्नई आ कोलकाता मे मिथिला पेंटिंग पर आयोजित कार्यशाला मे शामिल भेलथि। बोध गया के नौलखा मंदिर के देबाल पर दुलारी देवी द्वारा बनायल गेल मिथिला पेंटिंग आयो लोग के ध्यान आकर्षित करैत अछि।
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देश-विदेशक पत्र-पत्रिका सेहो दुलारी देवी के पेंटिंग के प्रकाशन केने अछि। विदेशी कला प्रेमी गीता वुल्फ दुलारी देवी के जीवन प्रसंग पर आधारित एकटा सचित्र पुस्तक “फॉलोइंग माई पेंट ब्रश” के प्रकाशन केने छथि। अहि पुस्तक मे दुलारी देवी के मिथिला पेंटिंग के विस्तृत ज्ञान उद्घाटित भेल अछि। मार्टिल ली कॉलेज के फ्रेंच भाषा मे लिखल गेल इ पुस्तक “मिथिला” हिंदी के कला पत्रिका सतरंगी एवं ‘मार्ग’ मे सेहो दुलारी के जीवन गाथा आ हुनक पेंटिंग के सुंदर वर्णन अछि। बिहार के राजधानी पटना मे बिहार संग्रहालय मे सेहो कमलेश्वरी (कमला नदी) पूजा पर दुलारी देवी द्वारा बनायल गेल पेंटिंग के प्रमुखता सं प्रदर्शित कैल गेल छनि। एखन धरि दुलारी देवी विविध विषय पर लगभग 10 हजार पेंटिंग बना चुकल छथि।
मिथिला पेंटिंग में महत्पूर्ण योगदान लेल 9 नवम्बर 2021 के दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी अपन हाथ सं दुलारी देवी के पद्मश्री सम्मान सं सम्मानित केलकनी।
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