शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

गोनू झा के किस्सा : फेर छकायल चोर

गोनू रहथि सतर्क आ बुद्धिमान लोक। अपन बुद्धिमत्ता आ विद्वताक बल पर ओ सदैव मिथिलाक राजदरवार मे आदर पाबथि आ यदा - कदा इनाम सेहो। ताहि सँ सौसें ई हल्ला रहैक जे गोनू झा लग बहुत रास संपत्ति छैन आ तें इलाकाक नामी-गिरामी चोर सभ हुनका घर मे चोरि करबाक प्लान बनेलक। चोरि आ सेहो गोनूक घर मे, छल तँ मुश्किल काज, तथापि एकबेर पूरा भऽ गेने बहुत रास धन प्राप्तिक आशा रहैक आ तें चोर सभ एहि दिशा मे काज करब शुरू कयलक।

भ सँ पहिने तीन - चारि चोरक एकटा दल कें एकर काज सौंपल गेल आ प्लानक अनुसार ओ सभ साँझ पड़ितहि हुनका दलान पड़हक एकटा पैघ झुड़मुट मे नुका रहल आ राति हेबाक इंतजार करय लागल। परंतु सतर्क गोनू साँझ मे दलान पर अबितहि बूझि गेलाह जे दालि मे जरूर किछु कारी छैक। ओ स्थिरचित्त भऽ एहि समस्या पर विचार केलनि आ अपना पत्नी के दलान पर बजाय, झूठ-मूठ पतरा देखय लगलाह। ओहि दिनक ग्रह दशा पर विचार करैत ओ बजलाह - आजुक ग्रह अपन सभ पर बड़ खराब अछि। पत्नी सशंकित होइत ग्रहक निवारणक उपाय सभ पूछय लगलथिन्ह। ओ पुन: पोथी-पतरा उन्टेलाह आ थोड़ेक कालक उधेर-बुनक पश्चात ई निष्कर्ष निकाललाह जे आई जँ पश्चिम दिस (जेम्हर झुड़मुट मे चोर सभ नुकायल रहय) १०८ टा ढ़ेपा फेकल जाय, तँ ग्रह शान्त भऽ सकैत अछि। जँ ढ़ेपा नम्हर फेकल जाय तँ ग्रहक शान्ति आर तीव्रता सँ भऽ सकैत अछि। पत्नी गोनूक एहि ग्रह शांतिक उपाय सँ सहमति जतेलनि। पुन: गोनू बजलाह जे अहाँ ढ़ेपा आनू आ हम फेकैत छी । फेर की छल शुरू भऽ गेलाह दुनू प्राणी। पत्नी नम्हर-नम्हर ढ़ेपा आनय लगलीह आ गोनू ओकरा पश्चिम दिस फेकय लगलाह, जेम्हर चोर सभ झुरमुट मे नुकायल छल। ढ़ेपा कखनो चोरक नाक पर लगैक तँ कखनो ओकरा सभक कपार पर। गोट पचासेक ढ़ेपा गोनू फेकने हेताह की हुनक पत्नी हर्दा बाजि देलखिन जे आब हमरा बुते नहि होयत ढ़ेपा आनल। ताहि पर गोनू बजलाह जे अहाँ कें ढ़ेपा अननाइ पार नहि लगैत अछि आ ओहि झुरमुट मे नुकायल माहानुभाव सभ सभटा ढ़ेपाक मारि खेलाक बादो एको बेर सगबगेलाह अछि नहि। एत्ते सुनितहि चोर सभ बूझि गेल जे गोनू बाबू हमरा सभ कें देखि लेलनि। ओ सभ झुड़मुट सँ बाहर निकलैत गेल आ आत्मसमर्पण कऽ देलक। ओ सभ पर्याप्त मारि खा चुकल छल आ तें गोनू ओकरा सभ कें माफ कऽ देलनि।


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मारि खेलाक बाद कतेको मास धरि चोर सभ शांत रहल। तथापि एकबेर फेर गोनूक घर मे चोरि करबाक प्रोग्राम बनेलक। एहि बेर ओ सभ साँझे नहि जा कें राति मे जेबाक प्रोग्राम बनेलक। अनहरिया राति रहैक आ गोनू कें अपनी घरक बाहर किछु खड़बड़ सुनेलनि। ओ भाँपि गेलाह जे पुन: चोर सभ आबि गेल अछि। ओ पत्नी दिस तकलनि। परन्तु ओ तँ निश्चिंत भऽ फोंफ कटैत छलीह। गोनू हुनका जानि-बूझि के चुट्टी काटि लेलनि। ओ तमसाइत उठलीह आ लगलीह गोनू पर बाजय। चोर सभ साकांक्ष भऽ गेल आ दुबकि गेल। परन्तु गोनू तँ ओकरा सभ कें फेर छकेबाक जोगार सोचि रहल छलाह। पत्नी कें शांत करैत गोनू बजलाह जे एकटा जरूरी खबरि अहाँ कें नहि कहने रही तें उठबय पड़ल। पत्नी पुछलखिन जे एहन कोन जरूरी खबरि छैक जे ताहि लेल हमरा एत्ते जोर सँ चुट्टी काटि लेलहुँ। गोनू पत्नी कें हाथ सँ कम जोर सँ बजबाक इशारा केलनि आ पुछ्लनि जे बंगौर (बाँगक बीया) कतय अछि। पत्नी कहलखिन जे ओ तँ ओसारे पर अछि। गोनू बेस चिंतित्त भेलाह आ बजलाह जे बंगौरक दाम प्रति सेर पाँच टाका भऽ गेलैक अहाँ एहन चीज कें ओहिना ओसारा पर छोड़ि देलियैक। आब तँ चोर लैये लेत। काल्हिये तँ आठ अन्ने सेर छल आ आई पाँच टके सेर भऽ गेल। चोरो सभ सभटा सुनिते छल आ ओ सभ फटाफट अन्हारे मे जेना-तेना बंगौर तकलक आ तुरन्त निपत्ता भऽ गेल।


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गोनू कें ई अनुमान छलनि जे चोर सभ बंगौर के बेचक हेतु आई हाट पर जरुर आनत। आ तें ओ सबेरे सकाल हाट पर पहुँचि गेलाह। किछु अपरिचित चेहरा कें बंगौर बेचैत देखि ओकर भाव पुछलनि। ओ सभ पाँच टके सेर कहलक। गोनू बूझि गेलाह जे इएह महाशय सभ राति मे हमरा ओतय गेल छलाह। ओ प्रकट होइत बजलाह जे ई दाम तँ राति मे रहैक आ एखन तँ मात्र आठ अन्ने सेर अछि। ई सुनितहि चोर सभ कें सन्देह भेलैक जे कदाचित गोनू हमरा सभ कें चीन्हि गेलाह आ सभ बेरा-बेरी कें ओतय सँ घसकय लागल। एकबेर फेर चोर सभ कें छकेबा मे गोनू सफल भेलाह।

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