ओतय एकटा कथा इहो प्रचलित अछि जे भगवान विष्णु मधुकैटभ राक्षस के पराजित क वध केलखिन आ ओकरा इ कैह के विशाल मंदार के नीचा दाइब देलखिन जे ओ पुनः विश्व के आतंकित नै करै। पुराण'क अनुसार इ लड़ाई लगभग दस हजार साल धरि तक चलल छल।
मंदार पर्वत पर स्थित अछि पापहरणी पोखैर (तालाब)
मंदार पर्वत पर पापहरणी पोखैर स्थित अछि। प्रचलित खिस्साक मुताबिक कर्नाटक के एकटा कुष्ठपीड़ित चोलवंशीय राजा मकर संक्रांतिक दिन अहि पोखैर मे स्नान केने छलैथ, जाहिक उपरांत हुनकर स्वास्थ ठीक भेलैन। तहिये सं एकरा पापहरणी के रूप मे जानल जाइत अछि। अहिके पूर्व पापहरणी ‘मनोहर कुंड’ कुंड नाम सं जानल जाइत छल।
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मृतु सं पहिले मधुकैटभ राक्षस भगवान विष्णु जी सं इ वादा लेने छल जे सब साल मकर संक्रांति के दिन ओ ओकर दर्शन देबय मंदार आयल करथिन। कहल जाइत अछि, भगवान विष्णु ओकरा आश्वस्त केने छलखिन। यैह कारण अछि जे सब साल मधुसूदन भगवान के प्रतिमा के बौंसी स्थित मंदिर सं मंदार पर्वत तक के यात्रा कराओल जाइत अछि।
पर्वत पर अंकित अछि डहिड़
एहन मान्यता अछि जे समुद्र मंथन मे नाग के रस्सी जंका प्रयोग कैल गेल छल, जेकर साक्ष्य पहाड़ पर अंकित डहिड़ सं होइत अछि। पर्वत पर एकटा समुद्र मंथन के दर्शाबैत स्मारक सेहो बनायल गेल अछि। अहि पर्वत के पूरा हिस्सा ग्रेनाइट पत्थर के एकटा टुकड़ा एहन अछि। पर्वत के मध्य मे गरुड़ रथ'क पहिया आ सर्प के निशान अछि। पर्वत पर लखदीपा मंदिर, सीता कुंड, पाल कालीन मृदभांड़, शंखकुंड आदि के निशान एकरा ऐतिहासिक हेबाक प्रमाण दैत अछि।
पोखरिक बीच स्थित अछि लक्ष्मी -विष्णु मंदिर
पापहरणी पोखरिक बीचों बीच लक्ष्मी -विष्णु मंदिर सहित अछि। सब मकर संक्रांति पर एतय मेलाक आयोजन होइत अछि। मेलाक पहिले यात्रा सेहो होइत अछि, जाहिमे लाखों लोग शामिल होइत अछि।
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