मिथिला चित्रकला जाहि कलाकारक जरिए वैश्विक पटल पर उभरल, ओहिमे एकटा नाम पद्मश्री जगदम्बा देवी ( Padma Shri Jagdamba Devi Mithila Penting ) के सेहो अछि। हुनकर जन्म 25 फरवरी, 1901 के मधुबनी जिलाक भोजपड़ोल गाँव मे भेल छलनी। जहन इ पाँच वर्षक छलीह, तहने हिनक पिता के देहांत भऽ गेलनि आ बाद मे लगभग एक साल बाद माँ सेहो नै रहलनि। ओहि समय मिथिला मे लड़कि सब के बीच शिक्षा के प्रचलन नै छल। ताहिलेल जगदम्बा के शिक्षा-दीक्षा नै भेलनि।
ओहि समय के सामाजिक प्रथा के मुताबिक नौ वर्षक छोट उम्र मे जगदम्बा के बियाह जितवारपुर के बालकृष्ण दास के संग कऽ देल गेलनि। बियाहक किछे मासक बादे बालकृष्ण दास के निधन भऽ गेलैन।
पद्मश्री जगदम्बा देवी, (छवि साभार- आलेखन) |
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मिथिलाक चितकलाक क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लेल 4 जनवरी, 1969 के अखिल भारतीय हैण्डीक्राफ्ट बोर्ड जगदम्बा देवी के सम्मानित केलकनी। 8 दिसम्बर, 1969 के बिहार सरकार के उद्योग विभाग हिनका ताम्रपत्र सं सम्मानित केलकनी। 26मा वैशाली महोत्सव (18-20 अप्रैल, 1970) के अवसर पर सेहो उद्योग विभाग द्वारा जगदम्बा देवी के सम्मानित कैल गेलनि। 6 मार्च, 1970 के नव दिल्ली के विज्ञान भवन मे आयोजित एकटा विशेष समारोह मे तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने 10 X 5 फीट केे कागज पर बनाओल गेल पेंटिंग "दशावतार" के लेल हुनका राष्ट्रीय पुरस्कार (1970) सं सम्मानित केलकनी। उल्लेखनीय ऐछ जे राष्ट्रीय पुरस्कार के श्रेणी मे मिथिला पेंटिंग के ओहि वर्ष पहिल बेरा शामिल कैल गेल छल आ अहि विधा मे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त केनिहारी पहिल कलाकार छलखिन।
पद्मश्री जगदम्बा देवी के पेंटिंग (छवि साभार- आलेखन) |
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