दरभंगा रेलवे जंक्शन ( Darbhanga Junction ) पर एबाक साथ यात्री के मोन प्रसन्न भऽ जाइत अछि। जंक्शन के विशाल भवन एतय के ऐतिहासिक कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के तस्वीर पेश करैत अछि। अंदर गेलाक साथ दरभंगा महाराज के विरासत आ मिथिलाक संस्कृति सं जुड़ल कलाकृति आ चित्र मोन के लोभाबैत अछि।
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जखन उद्घोषक मैथिली मे घोषणा करैत अछि तऽ एतुका लोगक संवेदना सम्मान पावैत अछि। समय बदलैत रहल। मुदा, स्टेशन रेलवे प्रशासन के सक्रियताक कारण दरभंगा के धरोहर आ सांस्कृतिक विरासत के संभारबा मे काफी हद तक सफल रहल अछि। सरकारक प्रयासक उपरांत अहि साल इ स्टेशन बिल्कुल मिथिलाक रंग मे रंगी गेल अछि।
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मिथिलाक इतिहास'क जानकार बताबै छथि, रेलवे के स्वर्णिम इतिहास सं दरभंगा महाराज के गहिर संबंध रहल। अंग्रेजी हुकूमत मे महाराज तिरहुत स्टेट रेलवे कंपनी बना क अपन रेलगाड़ी चलेलथि। बहुते स्टेशनों के निर्माण करने छलथि। फेर पूर्व मध्य रेलवे हुनकर 145 वर्ष पुरना इंजन के धरोहरक रूप मे संरक्षित केलक। दरभंगा सं रेलवे दरभंगा राज के रेल इंजन के हाजीपुर जोनल कार्यालय मे तिरहुत स्टेट रेलवे के इंजन के धरोहरक रूप मे रखलक। समस्तीपुर डीआरएम कार्यालय मे सेहो एकटा इंजन सुरक्षित अछि।
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1873 मे तिरहुत स्टेट रेलवे के भेल छल स्थापना अंग्रेजी हुकूमत मे दरभंगा महाराजक 14 कंपनि मे एकटा रेलवे विश्वविख्यात छल। एकर स्थापना 1873 मे तिरहुत स्टेट रेलवे नाम सं महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह केने छलथि। 1873-74 मे जहन उत्तर बिहार भीषण अकालक सामना क रहल छल, तहन राहत आ बचाव के लेल लक्ष्मेश्वर अपन कंपनीक माध्यम सं बरौनी के समयाधार बाजितपुर सं दरभंगा धरि रेल लाइन के निर्माण करेलथि।
अहि रेलखंड के ट्रायल 17 अप्रैल 1874 के वाजितपुर (समस्तीपुर) सं दरभंगाक बीच अनाज लादल मालगाड़ी के परिचालन करायल गेल। बाद मे 1 नवंबर 1875 मे पैसेंजर ट्रेनक परिचालन भेल महाराज तीन स्टेशनक निर्माण सेहो करबेने छलथि।
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नरगौना स्टेशन पर उतरलथी महात्मा गांधी समेत कतेको दिग्गज
महाराज अपना लेल नरगौना मे निजी टर्मिनल स्टेशन के निर्माण करबेने छलथि। ओतय हुनकर सैलून रुकैत छलैन। हुनकर ट्रेन आ सैलून सं महात्मा गांधी आ डॉ. राजेंद्र प्रसाद जेहन स्वतंत्रता सेनानी सफर क दरभंगा आबैत छलथि। जानकार के कहब अछि जे 1922, 1929 और 1934 सहित पांच बेरा महात्मा गांधी अहि ट्रेन सं दरभंगा आयल छलथि। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सहित राष्ट्रीय फलक के कतेको चर्चित हस्ति सफर केने छलथि।
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दरभंगा महाराज के थैकर्स एंड स्प्रंक कंपनी स्टेशनरी के निर्माण करैत छल। तहन इ पूर्वी भारतक सबसं बड़का कंपनी छल। इ भारतीय रेलवे के समय तालिका छापय बला एकमात्र कंपनी अछि। एहिके बंद हेबाक पश्चात इ अधिकार रेलवे के लग चैल गेल। तिरहुत रेलवे कंपनी लग बड़का लाइन आ छोटका लाइन के लेल कुल दु सैलून या पैलेस ऑन व्हील छल।
रेलवे 1929 मे केलक अधिग्रहण
दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे के अधिग्रहण भारतीय रेलवे मे 1929 मे केने छल। धीरे-धीरे दरभंगा महाराज के योगदान के बिसरा देल गेल। पिछला किछ साल मे रेलवे दरभंगा महाराज के याद आ धरोहर के संजोबय मे दिलचस्पी देखेलक अछि। रेलवे के 150वीं जयंती पर प्रकाशित स्मारिका मे दरभंगा महाराज के शाही सैलून के तस्वीर छापल गेल। 'रेलवे मिथिलाक धरोहर के सुरक्षित करबाक दिशा मे काज केलक अछि। भवन एतय के प्रसिद्ध संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप मे बैन के तैयार भ गेल अछि। जंक्शन के प्लेटफार्म मिथिला आ एतय के संस्कृति के छाप साफ अछि। इ अभियान लगातार जारी अछि।
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