भारत के अधिकांश भाग में अरिकोंचक (अरिकंचन) खेती कएल जाइत छैक। अपना मिथिला में खेती त नै मुदा प्रत्येक घरक पछुआर में ई उपलब्ध होइत छल। अरिकोंचक वानस्पतिक नाम कोलोकेसिया एस्कुलेंटा थिकै। अरिकोंच के पात सँ बनल तीमन बहुत स्वादिष्ट होईत छैक। अरिकोंच के कोमल पात के तीमन के रूप में सेवन कएल जाइत छैक।कचका अरिकोंचक सेवन कखनो नै करबाक चाही। एकर पात वा कंद के नीक सँ उसीनलाक पश्चात उपयोग करबाक चाही।
अरिकोंचक पात के डाँट के तोड़ि कऽ अलग कऽ ली आ पात के जरा कऽ छौर (राख) के नारीकेलिक तेल में फेंट कऽ घाव-घोस पर लगेला सँ लाभ होईत छैक।
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एकरा पात मे घाइट (बेसन) लगा तरुआ बना खाउ।ओ जोड़क दर्द में कारगर दवाई के काज करैत छैक।
अरिकोंचक पात के डाँट के संग पैन में उसैन ली। बाद में ओहि पैन में थोड़ेक घी मिला ३ दिन में दू बेर सेवन करी। गैसक समस्या में अत्यंत लाभ होयत।
अरिकोंच के पातक रस ३ दिन तक पीयला सँ लघुशंका में जलन के समस्या से समाप्त भऽ जैत छैक।
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अरिकोंचक तीमन खायला सँ प्रसूता स्त्री के दूध बढैत छैक।
अरिकोंचक पात के तीमन बना क खायला सँ एसिडिटी दूर होईत छैक।
कोनो कीड़ा के कटला पर ओहि स्थान पर अरिकोंच के रस लगौला सँ, दर्द सँ आराम भेटैत छैक।
अरिकोंचक कंद शक्ति वीर्यवर्धक होईत अछि। एकर पात शरीर के मजगूत बनबैत छैक। एकर कंद नीक सँ उसैन नोन फेंट कऽ खएला सँ नपुंसकता दूर होइत छैक।
ह्रदय सँ संबंधित रोग भेला पर अरिकोंचक तीमन नित्य खएला सँ लाभ होईत छैक।
अरिकोंच के पीस किछु दिन तक नियमित रूप सँ केश में लागेला सँ केस टूटबाक समस्या सँ छुटकारा भेटैत छैक।
संकलन आ अनुवाद : नीरज मिश्र “मुन्नू”
बहुत बहुत खुशी भइल अहं जे ई काज क रहल छी।
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