रविवार, 15 मई 2022

कोयल कमल कंठ झर झर कांनय लिरिक्स - Kamal Kanth Jhar Jhar Kane Lyrics

Kamal Kanth Jhar Jhar Kane Lyrics in Hindi By Vidyapati

एक तऽ धिया बड़ सुकुमारी
दोसर बाबू के दुलारी
तेसरा चलली पूजन आम हे
कहां गेला किए भेला बाट रे बटोहिया
लेने जाहि पिया के संदेश हे
लौका जे लौके रामा बिजुरी जे चमके
पिया रहै छै परदेस हे

कोयल कमल कंठ झर झर कांनय 
कानैया सोलहो श्रृंगार
जखने ही बेटी बैसली महफा 
खुज गेल नैना के धार
जेकरा अपन घर बुझली सब दिन भेलौ ओइस दूर
भरल सिमंड सुहाग होइया मांग भरल सेनुर

माई के करुना देख कऽ झैर गेल 
सूइख गेल पीपरक पात
दघदल चती कोना जुरायत
रही रही ताकय यऽ बाट
देखि कऽ हुक हुक प्रान करैया 
आंखि बाबुक के भेल मजबूर
भरल सिमंड सुहागक होइया मांग भरल सेनुर

गीतक बोल : कोयल कमल कंठ झर झर 
( Kamal Kath Jhar Jhar Kane - Lyrics )
गायक : ममता राजे व साथी 
फिल्म : कखन हरब दुख मोर 
गीतकार : विद्यापति 
संगीतकार : ज्ञानेन्द्र दुबे, सुरेश पंकज

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