रविवार, 4 सितंबर 2022

कुंज भवन सं निकसलि रे रोकल गिरधारी लिरिक्स | Kunj Bhawan Se Niksal Re Lyrics

Kunj Bhawan Se Niksal Re Lyrics in Hindi by Vidyapati

कुंज भवन सँ निकसलि रे रोकल गिरधारी - 2,
एकहि नगर बसो माधव हे,
एकहि नगर बसो माधव हे, जनि करू बटमारी,
कुंज भवन सँ निकसलि रे रोकल गिरधारी,

छोडू़ कन्हैया मोर, आँचर रे, फाटत नव साड़ी - 2,
अपयश होयत जगत भरि हे, जनि करिय ओघारी,
कुंज भवन सँ निकसलि रे रोकल गिरधारी,

संगक सखि अगुआइल हे, हम एकसरि नाड़ी - 2,
दामिनी आय कुलाइल हे, एक राति अन्हारी,
कुंज भवन सँ निकसलि रे रोकल गिरधारी,

भनहि विद्यापति गाओल रे, सुनू गुणमति नाड़ी - 2,
हरि कऽ संग किछु, डर नाहि रे, तोहे परम गमारी,
कुंज भवन सँऽ निकसलि रे रोकल गिरधारी,
एकहि नगर बसो माधव हे, जनि करू बटमारी,
कुंज भवन सँऽ निकसलि रे रोकल गिरधारी - 2,
रोकल गिरधारी, रोकल गिरधारी


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