मंगलवार, 16 अगस्त 2022

Sohar Geet Lyrics - मैथिली सोहर गीत Lyrics - सोहर मैथिली लोकगीत लिरिक्स


देवकी यशोदा दुनू बहिनी कि दुनू सहोदर रे
ललना रे, 
मिथिला गोकुल दुइ नग्र कि ताहि बिच जमुना बहू रे
अहि पार देवकी नहाएल, ओहि पार यशोदा रे
ललना रे, दुनू केर भए गेल भेंट दुनू बतिआएल रे
कुशल-पूछय देवकी, यशोदा मुह तोहर मलीन हे
मुह तोहर मलीन बहिनी, वदन तोहर उदास हे
सैह सुनि देवकी के नोर खसु, बदन उदास भइ रे
ललना रे, सात पुत्र दैव देलनि, कंस हरि लेलनि रे
कंस छथि निरवंश, बालक नहि छनि दया धर्म यौ
तेहन वीर अवतार लेतनि, करत हुनको नाश यौ


2. कहमा से आयल पियरिया पियरिया लिरिक्स

कहमा से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना कहमा से आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना नैहर से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना, सासुर सऽ आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना रे कहमा धरबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना कहमा में धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना झपिया में रखबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना, कोठी पर धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो


3. केबार लागल धनी सोचथि

केबार लागल धनी सोचथि, माय बाप सुमिरथि रे
ललना रे, उठल पंजरबा मे तीर, कि केकरा जगायब रे
सासु जे सुतल भानस घर, ननदो कोबर घर रे
ललना रे, मोरो पिया सूतल दरबज्जा, कि ककरा जगायब रे
अही अवसर पिया पबितहुँ, झुलफी झुलबितहुँ रे
ललना रे, भइया जी सँ मारि खुअबितहुँ, वेदन वेयाकुल रे
होइत भिनसर पह फाटल, हारिला जनम लेल रे
ललना रे, गाबय सब सोहर गीत, कि ननदो बधैया मांगय रे


4. एक तऽ हम धनि पातरि

एक तऽ हम धनि पातरि, दोसर गरभ संओ रे
ललना रे, तेसर पिया केर दुलारि, दर्द कोना सहब रे
उठू-उठू नन्दो, दिया लेसू, बाबा के जगाबहु रे
बाबू यौ तोरो पुतहु दरदे बेयाकुल, दगरिन चाही रे
एहि बेर जँओ प्राण बांचत, देव सुख बूझब रे
ललना रे, फेरू ने करब एहन काज, पलंग भीर जायब रे
एहि अवसर पिया पबितहुँ, जुलफी पकड़ितहुँ रे
ललना रे, बन्हितहुँ चंपा फूल डाड़ि, ताहि तर कहितहुँ रे
भेल भिनसर पह फाटल, होरिला जनम लेल रे
ललना रे, गाबय सब सोहर, कि ननदो बधैया माँगय रे


5. पिया सूतल सुख निन्दिया

पिया सूतल सुख निन्दिया, जगाबहु से ने जागय हे
ललना हे, घेरी आयल करी रे बदरबा, सुन्न घरमे डर लागू हे
बादरि घेरल घनघोर, दामिनि चमकाओल हे
ललना हे, चिहुँकि चिहँकि भेल भोर, बालम नहि जागल हे
सासु ननदिया बरिनियां, असोरबामे जागल हे
ललना हे, बाजय पयरक पैजनियाँ, कि झनाझन उठय हे
दादुर चहुँदिसि बोलय, तन जागय, छतिया धड़कि उठय हे


6. बाबा केर अंगना चानन गाछ

बाबा केर अंगना चानन गाछ उगल तरेगन रे
ललना रे ताहि अवसर होरिला जनम लेल पुत्र बड़ सुन्दर रे
भनसा करैत अहाँ सासु कि सेहो हंसि पूछथि रे
ललना रे पुतहु कओन-कओन फल खयलहुँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने खयलहुँ नारिकेर तखन छोहारा रे
ललना रे तखन खयलहुँ दाड़िम फड़ पुत्र बड़ सुन्दर रे
मचिया बैसलि तोहें गोतनो कि सेहो हंसि पूछथि रे
गोतनो हे कौने व्रत तोहें कयलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
गंगा पैसि नहयलहुँ हरिवंश सुनलहुँ रे
ललना रे कयलहुँ जे रवि उपवास कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
घरबा नीपैते आहे ननदो कि सेहो हंसि पूछथि रे
भउजी हे ककरा-ककरा संग तों गेलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने जे गेलहुँ देओर संग तखन ननदोसि संग रे
ललना रे तखन जे गेलहुँ पिया संग तेँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
जे इहो सोहर गाओल गाबि सुनाओल रे
ललना रे तिनको बास बैकुण्ठ से पुत्र फल पाओत रे


7. यशोमति अद्भुत लेखल

यशोमति अद्भुत लेखल, बालक देखल रे
सुन्दर हुनकर गात, कि बात पकठोसल रे
कंस केँ जी थर-थर काँपय, अपन घर पहुँचल रे
पूतना केँ देल विचार, जाहु तोहें गोकुल रे
पूतना थन विष लेल घोरि बिदा भेल गोकुल रे
घर सौं बहार भेली यशुमती, बालक लइली रे
ललना रे, देलनि पूतनाकेँ कोर, बालक बड़ सुन्दर रे
पूतना दूध पिआओल, आओर विष पसारल रे
हरि देलनि दसन बइसाइ, खसल मुरछाई रे


8. जीर सन छथि धनि पातरि

जीर सन छथि धनि पातरि, फूल सन सुन्दरि रे
ललना रे, तेसर छथि बाबाकेँ दुलारू, दर्द कोना अंगेजत रे
कथी लेल बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, दर्द नहीं जनितौं रे
एक पयर देलनि एहरि पर, दोसर देहरी पर रे
ललना रे, तेसरमे होरिला जनम लेल, सब मन हर्षित रे
निक लय बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, होरिला कहाँ पबितहुँ रे


9. चैत बैसाखकेँ पुरइनी

चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर बेटी जनम लेल, पुरुष बेपक्ष भेल रे
कथीए ओढ़न कथीए पहिरन, कथिए पथ भोजन रे
ललना रे, कथीए जरायब सोइरी घर, पुरुष बेपक्ष भेल रे
गुदड़ी ओढ़न गुदड़ी पहिरन, कोदो पथ भोजन रे
ललना रे, कड़री जरायब सोइरो घर, पुरुष वेपक्ष भेल रे
चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर होरिला जनम लेल, पुरुष अपन भेल रे
लाले ओढ़न लाले पहिरन, सारिल पथ-भोजन रे
ललना रे, चानन जरायब सोइरी घर, पुरुष अपन भेल रे


10. उतरहि साओन चढ़ल भादवउतरहि साओन चढ़ल भादव, चहुदिसि कारी रे
ललना रे, रिमिक-झिमिक मेघ बरिसत, बादल हरखित रे
देवकी दरदे बेयाकुल, दगरिन चाहीअ रे
ललना रे, गोकुल निकट एक नग्र, तहाँ बसु दगरिन रे
जब जन्म लेल यदुनन्दन, बन्हन खुजि गेल रे
ललना रे, खुजि गेल बज्र केबार, पहरू सब सूतल रे
माथ मुकुट कर कंगन, डांरहि घुँघरू बाजु रे
ललना रे, सैह देखि देवकी कानल, देहरी मुरछाइ खसु रे
कीए दैव देलनि, जे कंस हरि लेलनि रे
जूनि कानू अहाँ देवकी, जुनि पछताउ रे
ललना रे, इहो बालक दुखमोचन, ललित अभिलोचन रे
सखि सभ सोहर गाओल, गाबि सुनाओल रे
ललना रे, देवकी भेल बैकुण्ठ, कि पुत्र फल पाओल रे


11. प्रथम गणेश पद गायबप्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे
ललना हे, जब मोर होइहैं बलकबा, मोहर लुटाएब हे
दोसर मास जब आयल, चित फरिआएल हे
ललना हे, पानक बीड़ा ने सोहाय, मोन अकुलाएत हे
तेसर मास जब आयल, ननदी दान मांगू हे
भउजी हे, हम लेब हाथकेँ कंगनमा, कि सोइरी निपाओनि हे
छठम आओर सातम मास लग आयल हे
ललना हे, गोतनो करथि चौल, किए बबुा सुताओल हे
सातम गेल मास, आठम आएल हे
ललना हे, आठो अंग भारी भय गेल हे
नवम मास जब आयल, होरिला जनम लेल हे
ललना हे, बाजऽ लागल आनन्द-बधैया, महलिया गूंजय सोहर हे


12. पिया चलल परदेश कि 
पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश बसु रे
ललना रे ककरा कहब दिलकेँ बात चढ़ल मास तेसर रे
सासु चलल नइहर ननदी ससुर घर रे
ललना रे घरबामे देओर नादान चढ़ल मास चारिम रे
बाट रे बटोहिया कि भइया कि तोँहि मोर हित बंधु रे
ललना रे नेने जाहि पियाकेँ समाद चढ़ल मास पाँचम रे
अन्न पानि किछु ने मन भावय जिया डोलय पात रे
ललना रे देह जे लागय सरिसों फूल चढ़ल मास छठम रे
डाँर जे उठय कड़-कड़ देह काँपय थर-थर रे
ललना रे उत्पन्न श्री नन्दलाल चढ़ल मास सातम रे
आठम मास जब आयल आठो अंग भारी भेल रे
ललना रे खने-खने चीर ससरि गेल छने-छने पहिरथि रे
नओम मास जब चढ़ल ननदी हरखि बरजु रे
ललना रे हमहूँ तँ लेब नकबेसरि होरिला खेलाएब रे
दसम मास जब आएल होरिला जनम लेल रे
ललना रे जनम लेल श्री नन्दलाल कि गोकुल आनन्द भेल रे

1 टिप्पणी:

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !