जीर सन छथि धनि पातरि,
फूल सन सुन्दरि रे
ललना रे, तेसर छथि बाबाकेँ दुलारू,
दर्द कोना अंगेजत रे
कथी लेल बाबा बिआहलनि,
देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि,
दर्द नहीं जनितौं रे
एक पयर देलनि एहरि पर,
दोसर देहरी पर रे
ललना रे, तेसरमे होरिला जनम लेल,
सब मन हर्षित रे
निक लय बाबा बिआहलनि,
देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि,
होरिला कहाँ पबितहुँ रे
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