शनिवार, 30 जुलाई 2022

माधव कत तोर करब बड़ाई लिरिक्स | Madhav Kat Tor Karab Barai Lyrics

Madhav Kat Tor Karab Badayi Lyrics in Hindi by Vidyapati

माधव कत तोर करब बड़ाई - 2,
उपमा तोहर कहब ककरा हम - 2,
कहितहुँ अधिक लजाई,
माधव कत तोर करब बड़ाई - 2,

जौं श्रीखंड सौरभ अति दुर्लभ - 2,
तौं पुनी काठ कठोरे,
जौं जगदीश निशाँ करतौं पुनी,
एकहि पछउँ जोड़े,
माधव कते तोर करब बड़ाई - 2,

मणिक समान आन नहि दोसर - 2,
तनिकर पाथर नामें,
कनक कदलि छूटि लज्जित भैऽ रह,
की कहु ठामहि ठामें,
माधव कत तोर करब बड़ाई - 2,

तोहर शरिश, एक तोहे माधव - 2,
मन होईछ अनुमाने,
सज्जन जन सऽ नेह उचित थिक,
कवि विद्यापति धाने,
माधव कत तोर करब बड़ाई - 2,


कवि विद्यापति उपरोक्त पाँति मे कहैत छथि :- हे श्री कृष्ण, हम अहाँक प्रशंसा कोना करब, अहाँक तुलना केकरा सँ करब? हम तुलना तक करबा मे संकोच क रहल छी। जँ हम अहाँक तुलना दुर्लभ श्रीखण्ड सँ करब तँ दोसर दिस ओहो कठोर अछि।  जँ हम अहाँक तुलना ओहि चन्द्रमा सँ करब जे दुनियाँ के प्रकाश सँ रोशन करैत अछि तँ ओहो मात्र एक पक्षक लेल अछि। रत्न-मानिक्य सँ बेसी मूल्यवान आ सुन्दर किछु नहि, मुदा आखिर ई पाथर अछि। हम अहाँक तुलना हुनका सँ कोना करब। सोना जकाँ चमकैत केरा सँ सेहो अहाँक तुलना नहि कएल जा सकैत अछि , ओहो अहाँक सोझाँ बहुत छोट पड़ैत अछि। हमर अनुमान एकदम सही अछि, अहाँ सन कियो आओर नहि अछि।  कवि विद्यापति कहैत छथि जे सज्जन अर्थात महान व्यक्ति सँ नेह जुड़ब बहुत कठिन अछि ।

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