Hatlo Ne Manay Tripurari Ho Vipatti Bad Bhari Lyrics
हटलो ने मानय त्रिपुरारी हो विपति बड़ भारी
खूजल बसहाके डोरी कोना पकड़ब
चड़ि गेल फूल-फूलबारी,
हो विपति बड़ भारी
अंगने-अंगने सखि सब उलहन दै छथि - 2
कतेक सहब अति गारी, हो विपति बड़ भारी
भनहि विद्यापति सुनू हे गौरी दाई - 2
इहो छथि त्रिशुलधारी, !
हो विपत्ति बड़ भारी
रचनाकार : विद्यापति
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