गुरुवार, 16 जनवरी 2020

सखि हे, आज जाएब मोहि - विद्यापति

सखि हे, आज जाएब मोहि।।
घर गुरूजन-डर न मानब, 
वचन चूकब नाहि।
चाँदन आनि-आनि अंग लेपब, 
भूषण कए गजमोती।
अंजन विहुँन लोचन-युगल धरत धवल जोती।
धवन बसनें तनु झपाओब गमन करब मन्दा।

रचनाकार : विद्यापति

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