अहिं के चरण मे रहब सदा हम,
ऐछ एतबे अभिलाष,
जननी हे एक अहिं केर आश
अहिं के चरण मे रहब सदा हम,
ऐछ एतबे अभिलाष,
जननी हे एक अहिं केर आश
पाबि अहीँक आशीष बनल अछि,
रामक प्रिय हनुमान,
अहीँक कृपा बल पाबि बटै छैथ,
श्री गणेश सद ज्ञान
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष
दिनकर ज्योति पसारथी प्रतिदिन,
पाबि अहीँक आदेश,
बिनु अपनेक निदेश करथि नहि,
पवनो कतहु प्रवेश
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष
अहिंक कृपा सब जीव जंतु में,
चलै अछि प्रति स्वास,
तखन अहाँक प्रदीप जननी हे,
जायत ककरा पास
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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