बुधवार, 29 अप्रैल 2020

सैसव जौवन दुहु मिलि गेल लिरिक्स | विद्यापति

रचनाकार - विद्यापति

सैसव जौवन दुहु मिलि गेल ।
स्रवनक पथ दुहु लोचन लेल ।।

वचनक चातुरि लहु-लहु हास ।
धरनिए चाँद कएल परगास ।।

मुकुर हाथ लए करए सिङ्गार ।
सखि पूछए कैसे सुरत-बिहार ।।

निरजन उरज हेरइ कत बेरि ।
बिहुसए अपन पयोधर हेरि ।।

पहिल बदरि सम पुनु नवरङ्ग ।
दिने-दिने मदन अगोरल अङ्ग ।।

माधव देखल अपरुब बाला ।
सैसव जौवन दुहु एक भेला ।।

विद्यापति कह तुहु अगेआनि 
दुहु एक जोग इह के कह सयानि ।।

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