मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024

अम्बे आब उचित नहीं देरी लिरिक्स - Ambe Ab Uchit Nahi Deri Lyrics

अम्बे आब उचित नहीं...
अम्बे आब उचित नहीं देरी !

अम्बे आब जमदुत पहुचि गेल, 
पाएर परल अछि बेरी।
मित्र बंधु सब टक-टक तकथी, 
नहीं सहाय एही बेरी।

योग, यग्य, जप कय नहीं सकलो, 
परलहू कलक फेरी।
केवल द्वन्द, फंद में फंसी कय, 
पाप बटोरल ढेरी।

नाम उचारब दुस्तर भय गेल, 
कंठ लेल कफ घेरी।
एक उपाय सूझे अछि अम्बे, 
अहाँ नयन भरी हेरी।

सुद्ध भजन तुए हे जगदम्बे, 
देव बजाबथी भेरी।
‘लक्ष्मीपति’ करुनामयी अम्बे, 
विसरहू चुक धनेरी।

रचनाकार: लक्ष्मीनाथ गोसाई

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