एक बेर हर हमरो दिस हेरू
पार्वती पति दारिद्र फेरू
करियो अनुग्रह निज जन जानि
होऊ सहाय शिव सहित भवानी
एक बेर हर हमरो
काम, क्रोध, मद रिपु के जारू
लोभ, मोह, ममता सब टारू
एक बेर हर
दुख भंजन, जन रंजन शंकर
संत सुधाकर दुष्ट भयंकर
एक बेर हर
निज जन जानि धरू करुआर
लक्ष्मीपति हर पार उतारू
एक बेर हमरा
रचनाकार: लक्ष्मीनाथ गोसाई
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