मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024

एक बेर हर हमरो दिस हेरू | Ek Ber Har Hamaro Dish Heru

एक बेर हर हमरो दिस हेरू
पार्वती पति दारिद्र फेरू

करियो अनुग्रह निज जन जानि
होऊ सहाय शिव सहित भवानी
एक बेर हर हमरो

काम, क्रोध, मद रिपु के जारू
लोभ, मोह, ममता सब टारू
एक बेर हर

दुख भंजन, जन रंजन शंकर
संत सुधाकर दुष्ट भयंकर
एक बेर हर

निज जन जानि धरू करुआर
लक्ष्मीपति हर पार उतारू
एक बेर हमरा

रचनाकार: लक्ष्मीनाथ गोसाई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !