होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
सगरो ब्रज मे घोल मचल अछि।
कृष्णक रूप राधा के कंगना 'होली खेलू ने'।
होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
ललिता के लाल अधर मधुमय हरि।
हरि-हरि वृन्दावनक बना 'होली खेलू ने'।
होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
मोर-मुकुट मकराकक्रित कुण्डल यमुना जल बिच रूप धना।
होली खेलू ने'।(2)
होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
राधे-राधे रगं-अबीर उड़े नित,फागुन सरस बसंत घना।
होली खेलू ने'।(2)
होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
हरि-हरि-हरि-हरि हरियर सगरो। 'प्रदीपक' भावक भगति भना।
होली खेलू ने'।(2)
होली खेलू ने हे श्याम। हमर अंगना 'होली खेलू ने'।
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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