(समदाओन, उदासी)
जनम जनम केर थिकहु चिन्हार,
जननि अहाँक नहि पाओल पार ॥
जे जननी सभ दुख हरि लेल,
तनिक अपरिचित हम बकलेल।
बिगड़ल के नित कएल सुधार॥
जननि ....
नचलहु जे नटवर केर संग,
छिलकि जटा बनलहु माँ गंग ॥
पाप विमोचिनि सुरसरि धार॥
जननि...
जनम जनम बहुतो दुःख भेल,
गरभ जोगाओल ककरा लेल।
कहिया करब दुःख नदिया सँ पार॥
जननि....
तेज भरल दृग तेसर दीप,
हम अनुखन जड़ि भेलहुँ 'प्रदीप '
करब कखन मा हमर उद्वार॥
जननी.............
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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