शनिवार, 28 सितंबर 2024

जननी हे तुअ गुन अपरम्पार लिरिक्स - Janani He Tua Gun Aprampar Song Lyrics

जननी हे, जननी हे, जननी हे तुअ गुन अपरम्पार

जीबन युद्ध जहाज बनल ऐछ,
मन पापी पतवार
जानी नहि केहि दिशा घुमाओत 
लऽ जायत केही पार,
जननी हे, जननी हे, जननी हे तुअ गुन अपरम्पार

जे नित अहाँ के चरण युग सेवल,
से निरहल मजधार
दयामयी अपनेक कृपया बिनु,
लागत बाट अन्हार
जननी हे, जननी हे, जननी हे तुअ गुन अपरम्पार

अधिकाधिक धन के अभिलाषा,
गाड़ी बनत उलार
भौतिक शुख लोभी मन चाहै,
कसि कसि लादी आर
जननी हे, जननी हे, जननी हे तुअ गुन अपरम्पार

मदिरा पीबि बनल मतबाला,
फँसल कुपथ व्यभिचार
अहाँ के 'प्रदीप' अहिं दिस ताकै,
अछि अपने पर भार
जननी हे, जननी हे, जननी हे तुअ गुन अपरम्पार

गीतकार: प्रभुनारायण झा (मैथिली पुत्र प्रदीप)

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