बुधवार, 11 मार्च 2015

लिखहक पत्र बाबा भेजहक जनकपुर लिरिक्स - बरियाती लोकगीत

Likhahak Patr Baba Bhejahak Janakpur Lyrics

लिखहक पत्र बाबा भेजहक जनकपुर
दहक सजा बरिआत हे
किये मध्य राम किये मध्य लछुमन
किये मध्य राम किये मध्य लछुमन
किये मध्य भरतहि लाल हे
घोड़ा मध्य राम हाथी मध्य लछुमन
ऊँट मध्य भरतहि लाल हे
सोने छाड़ल छनि रामजी के घोड़बा
रूपे साजल लगाम हे
सभ बरिअतिया जनकपुर पहुँचल
लागल जनकजी दुआरि हे
अंगना बहारिते तोहें चेरिया खेलरिया
मोरा आगू सीता बखानु हे
हम कोना सीता बखानु राजा दशरथ
सीता बखानलहुँ ने जाय हे
सीता के सुरति देखि सुनि छपित होइ
रामहि रहला लोभाय हे

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