रहि-रहि कऽ जिया ललचाय हो,
मुरलिया के धुन सुनि
मुरलिया के धुन सुनि, बसुरिया के धुन सुनि,
रहि-रहि कऽ जिया ललचाय हो,
मुरलिया के धुन सुनि...
ब्रह्मा त्यागल ब्रह्मलोक केँ,
शिवजी तेजल कैलाश हो
राजा छोड़ल राजपाट केँ,
रानी छोड़ल शृंगार हो,
मुरलिया के धुन सुनि ...
गइया छोड़ल घासो चरब,
बछडू छोड़ल हुंकार हो,
मुरलिया के धुन सुनि...
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