विरह के मातलि फल्लाँ छिनरो
निपय रे अंगना-अंगनी
माझे अंगना मे पलंगा ओछओलनि
सूतल रे उढ़रा-उढ़री
हमरा तऽ माँग लागल घोटना-घोटनी
हम तऽ दारू पीयब चिखना चिखनी
आइ तऽ कहइ छी भैया उढ़रा-उढ़री
प्रात देखब भगिना-भगिनी
© Copyright 2014 - 2022 Mithila Dharohar | मिथिला धरोहर All Right Reserved (सबटा अधिकार सुरक्षित अछि।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !