गोल-मोल सन चान गगन मे
हरियर खेतक धान रे
आसिन मासक शरद पूर्णीमा
कोजगरा के विधान रे
साजल डाला भरल चंगेड़ा
साजल डाला भरल चंगेड़ा
केरा दही मखान रे
गीतगाइन सब गीत गबै छथि
होई छनि बऽर के चुमान रे
बऽरक पित्ती अति उल्लासित
बऽरक पित्ती अति उल्लासित
परसै छथिन्ह मखान रे
मुट्ठी भरि भरि बांटि रहल छथि
आंगन सगर दलान रे
हँसी ठहाका मुस्की चुटकी
हँसी ठहाका मुस्की चुटकी
भरि भरि खिल्ली पान रे
गऊआं घरुआ टोल पडोसी
देखथि समधी मिलान रे
गोल-मोल सन चान गगन मे
हरियर खेतक धान रे
आसिन मासक शरद पूर्णीमा
कोजगरा के विधान रे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !