शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

बिलखि-बिलखि काने, बेकल भरत जी - समदाउन गीत Bilakhi bilakhi kane bekal bhart ji

बिलखि-बिलखि काने, बेकल भरत जी 
एखनो न अयला भगवान ।। 
एक दिन अवधि रहल आब बाँकी राम 
रहल आब बाँकी
एहो भेल कलप समान ।।

मंथरा के बात सुनि राम जी के त्यागली राम, 
रामजी के त्यागली
जग भेल अयश महान ।।

जौं मोरा भइया घर आइयो नहि अयता राम 
आइयो नहि अयता हति लेब अपन परान ।। 
'लतिका सनेह धरू धीरज भरत जी 
देखू आबि गेला हनुमान ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !