मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

एहन छल दरभंगा राज के ठाठ-बाट, किला मे जाइत छल ट्रेन

दरभंगा, मिथिला धरोहर : देशक रजवाड़ा मे दरभंगा राज ( Darbhanga Raj ) के सदिखन अलग स्थान रहल अछि। इ रियासत बिहार के मिथिला और बंगाल के किछ क्षेत्र मे कतेको किलोमीटरक दायरा तक पसरल छल। रियासत के मुख्यालय दरभंगा शहर छल। एहि राज के स्थापना मैथिल ब्राह्मण जमींदार १६वीं सदी के शुरुआत मे केने छलाह। ब्रिटिश इंडिया मे एहि रियासत के जलवा अंग्रेज सेहो मानैत छल। महाराज कामेश्वर सिंह (Maharaj Kameshwar Singh ) के जमाना मे त दरभंगा किला के भीतर तक रेल लाइन तक बिछैल छल और ट्रेनो आबैत-जाइत छल।
महाराज के लेल अलग-अलग सैलून 
एतवि नय दरभंगा महाराज ( Darbhanga Maharaj ) के लेल रेल के अलग-अलग सैलून सेहो छलैन। लोग सब के मानि त एहिमे नय केवल महग फर्नीचर छल, बल्कि राजसी ठाठ-बाट के तहत सोना-चांदी सेहो जड़ल गेल छल। बाद मे एहि सैलून के बरौनी के रेल यार्ड मे राइख देल गेल। दरभंगा महाराज लग बहुते रास बड़का जहाज सेहो छल।

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शानो-शौकत लेल मशहूर छलैथ महाराज
ब्रिटिश राज के समय ४,४९५ गांव दरभंगा महाराज के रियासत मे छलैन। ७,५०० अधिकारी कर्मचारी राज्यक शासन संभालैत छल। महाराज कामेश्वर सिंह अपन शान-शौकत के लेल सगरो दुनिया मे चर्चित छलथि। अंग्रेज हिनका महाराजाधिराज के उपाधि देने छलैन। महाराज अंग्रेज के समये नव जमाना के रंग-ढंग भांप लेने छल। एहिके लेल महराज बहुते कंपनि सब शुरू केलैथ। एहिमे नील, सुगर और पेपर मिल आदि कंपनि सब शामिल अछि। मुदा, दरभंगा रियासत के किला आय ओहि दौर सनक नय अछि जाहि लेल ओ दुनियाभरी मे मशहूर छलैथ। आब किला के आस-पास बहुते अतिक्रमण अछि।



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