मिथिला धरोहर : गोनू झा के आश्रयदाता राजा बड़ दानी स्वाभाव के छलथि। राजा के अपन राजक दान विभाग लेल एकटा अध्यक्ष के आवश्यकता छलनी। ताहि लेल राजा अपन दरबार के सब सँ योग्य और ईमानदार दरबारी के नियुक्त करबाक चाहैत छलथि। जे सुपात्र के पहचान कऽ ओकरा अपेक्षित दान कऽ सकय। बहुते सोच विचार करबाक उपरांत राजा के एकटा युक्ति सूझलनी।
राजा सब दरबारी के एक एकटा बिलाड़ि (बिल्ली) और एक एकटा महीस (भैंस) देलक। ओ सब दरबारि सँ कहलैथ - ‘अहाँ सबके जे बिलाड़ि देल गेल ऐछ ओकरा छः महीना धैर पोसबाक लेल अहाँके एक एकटा महीस देल जा रहल ऐछ जेकर दूध बिलाड़ि के पीएबाक ऐछ। छः महिनाक उपरांत जेकर बिलाड़ि सबसँ मोटगर हैत ओकरा पुरस्कार देल जाएत।’
सब दरबारी अपन-अपन बिलाड़ि आ महीस लऽ कऽ चैल देला। सब अपन-अपन महीसक दूध निकाइल निकाइल कऽ बिलाइर के पूरा मनोयोग सँ पिया बऽ लागल। पुरस्कार जितबाक जे बात छलै।
इहो पढ़ब:-
गोनू झा सेहो महीस कऽ चराबै लऽ जाय छला, ओकर दूध निकालैत छलखिन आ सबटा दूध बिलाड़ि कऽ पिया दय छलखिन। मुदा गोनू झा के इ सब केनाए ठीक नै लागी रहल छलनी। ओ आहियो गाय-महीस चरेबाक काज नै केने छला और आब कऽ रहल छला ओहो बिलाड़ि के दूध पीएबाक लेल।
अगिला दिन भोरे ओ महीस दुहलाह । दूध औंटबेलाह। गरम-गरम दूधक लोहिया ओ आंगन मे रखलाह आ तत्पश्चात् बिलाड़ि के बड़ प्रेम सँ चुचकारलाह। बिलाड़ि दूध देखैत देरी लगीच पहुँचल। गोनू झा बिलाड़ के गरदनि सँ पकड़लाह आ गरमे दूध मे ओकर मूड़ी डुबा देलनि। बिलाड़ि छटपटायल आ फेर देह झाड़ि ओतय सँ भागी गेल। आब बिलाड़ि दूध के देखैत देरी भागि जाय। गोनू निश्चिंत भेलाह आ शान सँ दूध-दही अपने दुनु परानी खाय लगलाह। धीरे-धीरे छः महीनाक अवधि समाप्त भऽ गेल। ओ दिन आबि गेल जहिया मिथिला नरेश बिलाड़िक प्रतिपालनक लेल पुरस्कार बँटताह। सब कियो अपन-अपन बिलाड़िक संग उपस्थित भेलाह। गोनू झा सेहो अपन सामान्य बिलाड़ि कऽ लऽ दर्बार मे हाजिर भेलाह।
इहो पढ़ब:-
सबक बिलाड़ि एक सँ एक बलिष्ठ रहै। मिथिला नरेशक लेल निर्णय करब कठिन भऽ रहल छलनी। मुदा गोनूक बिलाड़ि सब सँ कमजोर रहनि। नरेश गोनू सँ एकर कारण पुछलाह। गोनू झा बजलाह - महाराज ! हमर बिलाड़ि तऽ दूध पीबिते नै अछि तखन हम की करी? बिलाड़ि दूध नै पीबैत अछि, एहि गप्प पर सहसा केकरो विश्वास नहि भेलै। तथापि प्रमाणक लेल एकटा बर्तन मे दूध मँगाओल गेल, दूध के देखितहि गोनूक बिलाड़ि ओतय सँ भागय लागल। सौंसे राज-दरबार देखलक जे गोनू झा कहब ठीक छनि। अंतत: मिथिला नरेश बजलाह - बिनु दूध पीने गोनूक बिलाड़ि ठीक छनि तें इनाम गोनू कें भेटबाक चाही। संपूर्ण राजदरबार अचंभित रहि गेल नरेशक निर्णय सँ ।
Note : अहाँके इ खिस्सा केहन लागल अपन विचार कॉमेंट द्वारा दी। (Gonu Jha Cat Maithili Story)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !