डोलिया कहार नेने ठाढ़ दुअरिया,
विदा करू गौरी के चुमाय
गर धए हिलिमिलि हे कानथि,
देहरि बैसल मैना माय
आब ककरा दुलारब गे बेटी,
ककरा पेट लागि सुताएब
घूरि ताकू घूरि ताकू बेटी हे दुलरुआ,
फेर दीअ मुख देखाय
माया रे कानथि पुनि-पुनि रोबथि,
सखि सभ कहथि बुणय
नहिराक सुख कोना बिसरब हे आमा,
ससुरा मे दिवस गमाय
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