मंगलवार, 19 मार्च 2019

सिनुरदान गीत लिरिक्स, मैथिली सिंदूरदान गीत लिरिक्स - Maithili Sindurdan Geet Lyrics

पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ - Lyrics

पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ
सीता उधारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए
बीति रहल अछि लग्न अहाँ धनुष कयलौं भंग
सब छथि आनन्दमग्न आशीष देबऽ लए
रघुवर शिर शोभनि मौर सीता सब दिन पुजथि गौर
आजु पूजल हमर और नृपति होबऽ लए

प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू - Maithili Lokgeet

प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
एहि अवसर नहि लाज उचित थिक, 
एहन ने किछु मान करू
लियऽ सिन्दूर कर कमल मुदित चित सँ, 
हमर कथा किछु कान धरू
लग्न मुहुर्त सुमंगल एखन आब ने विलम्ब महान करू
मधुर स्वर छेडू तान सखि सभ मंगल गान करू
दामोदर विधि आजु मुदित चित वर कन्याक कल्याण करू

कओने नगर के सिनुरा - Maithili Lokgeet

कओने नगर के सिनुरा, सिनूरा बेसाहि एलौं यौ
बाबा कओने नगर जुआ खेलि एलौं, हमरो के हरि एलौं यौ
हाट बजार के सिन्दुरबा, सिन्दुर बेसाहि एलौं गे बेटी
अवधनगर जुआ खेलि एलौं, सीता बेटी हारि गेलौं हे
देसहिं देश हम पत्र देलौं, सब व्यर्थ केलौं हे
बेटी अपने सऽ आयल दुइ बालक, धनुषा के तोड़ि देलनि हे
हमर प्रतिज्ञा कठिन भारी, सेहो आब पूरि गेल हे
बेटी पूरि गेल हमरो मनोरथ, जुगलत जमाइ भेला हे

स्वर्ण सिनूर दुलहा धीरे सऽ - Maithili Lokgeet

स्वर्ण सिनूर दुलहा धीरे सऽ उठाउ हे दशरथ जी के बबुआ
धीरे धीरे लली के लगाउ हे दशरथ जी के बबुआ
लाज ने करू दुलहा हृदय के सम्हारू हे दशरथ जी के बबुआ
जल्दी सँ करू सिन्दूरदान हे दशरथ जी के बबुआ
कँपैत कर के करू स्थिर हे दशरथ जी के बबुआ
लली के हृदय लगाउ हे दशरथ जी के बबुआ

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