प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
एहि अवसर नहि लाज उचित थिक,
एहन ने किछु हठ मान करू,
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
लियऽ सिन्दूर कर कमल मुदित चित सँ,
हमर कथा किछु कान धरू,
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू,
लग्न मुहुर्त सुमंगल एखन
आब ने विलम्ब महान करू
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
मधुर स्वर छेडू तान सखि हे
सभ मंगल गान करू
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
दामोदर विधि आजु मुदित चित
वर कन्याक कल्याण करू
प्रिय पाहुन सिन्दूर दान करू
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