रविवार, 4 नवंबर 2018

Maithili Film Premak Basat : Review - मैथिली फिल्म "प्रेमक बसात" पर दर्शकीय प्रतिक्रियाक संग समीक्षा

Maithili Cinema Premak Basat film Review

प्रेम आदि काल सँ शाश्वत आ अनश्वर रहल अछि। प्रेमक बिनु आदर्श समाजक कल्पना नहिं कएल जा सकैत अछि। प्रेम एकटा सुखद अनुभूति थीक। सैद्धांतिक रूप सँ त' हमरा लोकनि ई सभटा मानि लै छी। प्रेमक आन सब स्वरूप हमरा लोकनि स्वीकारि लै छी। जखने प्रेमी प्रेमिकाक प्रेम सोझाँ आयल त' हम सभ नहिंं जानि किएक खलनायक बनि जाइ छी? प्रेम विवाहक चर्चा होइते मूँह टेढ़ होमय लगैत अछि। ई प्रेम विवाह यदि अन्तर्जातीय वा अन्तर्सामुदायिक भेल तखन त' समाज मे अगराही लागब निश्चिते मानू। एहन मे औनर किलिंग तक भ' जाइत अछि।एहन संकटक स्थिति मे रूपक शरर जीक "प्रेमक बसात" सिहकेबाक प्रयास सर्वथा प्रशंसनीय छनि। हम हुनक समस्त टीम केँ सैल्यूट करै छी।
दमगर कथा वस्तु, सरल संवाद, वास्तविक आ मजगूत अभिनय, सधल कलाकार, अत्याधुनिक तकनीकि,हृदयस्पर्शी गीत,कर्णप्रिय संगीत, नव आ सफल प्रयोगक अतिरिक्त श्रम आ साधनायुक्त निर्देशन सँ बनल ई फिल्म मैथिली फिल्मक लेल टर्निंग प्वाइंट साबित भ' सकैत अछि। अपन धमकक आभास करेबाक संगहि दर्शकक मोन पर छाप छोड़ैत अछि। एहि सभ सँ अतिरिक्त फिल्मक अन्तर्गत अन्तर्सामुदायिक प्रेम कथा आ ओहि प्रेमक परिणति, हिन्दू लड़काक विवाह मुस्लिम लड़की सँ होइत देखाओ गेल अछि। नायक आ नायिका केँ अपन प्रेमक आदर्श स्थापित करबाक क्रम मे जे संकटक सामना करय पड़लै, सैह सब एहि मे दर्शाओल गेल अछि।

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ई फिल्म प्रेम आ भाइचाराक संदेश दैत अछि। एकरा संगहि कतेको कुरीति पर चोट सेहो करैत अछि। विदेशक धरती पर रिलीज पहिल मैथिली फिल्म बनबाक सौभाग्य एकरा भेटल छै। ई सिनेमा समाज मे प्रेमपूर्ण वातावरण बनेबाक संग आदर्श समाज बनेबा मे सफल बुझि पड़ैत अछि।
एकटा नीक आ सफल फिल्मक जतेक मशाला होइत छैक करीब करीब सभटा मशाला एहि मे समाविष्ट करबाक सफल प्रयास भेल अछि। गैर मैथिल सँ मैथिली मे काज करयबा सन  चुनौतीपूर्ण काजक लेल एक बेर फेर पूरा टीमक प्रशंसा करहि पड़त। मैथिली मे पहिल सूफी गीत सुनबा मे सेहो आनंद आबि गेल। सिनेमाक सर्वाधिक सबल पक्ष अछि एकर गीत संगीत, जे फुल इन्टरटेनमेंट करैत अछि।

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ओना एखन दुर्बल पक्ष पर गप करबाक बेर नहिंं छै किन्तु ईहो करब आवश्यक एहि लेल जे आगू और बेसी गुणवत्तापूर्ण सिनेमा बनबाक मार्ग प्रशस्त भ' सकय।
पहिल बात जे अपन भाषाक फिल्म मे आन भाषाक प्रयोग किछु बेसी बुझि पड़ल। दृश्यक मांगक अनुरूप ओकरा कम सँ कम कएल जा सकै छल। दोसर बात जे किछु पुरान आ नीक मैथिली भाषी कलाकार ईमोशनल दृश्य केँ और मार्मिक बना सकै छलथिन।

एखन एतबे, शेष स्वयं देखि क' बुझि जेबै। कुल मिला क' नजदीकी सिनेमाघर मे जा' प्रेमक बसात लगेबा मे कोनो हर्ज नहिंं छै। माँ मैथिलीक लाज रखबाक लेल ई सिनेमा जरूर देखियौ से आग्रह।
विद्यापति पर्व समीप अछि। मैथिलीक लेल बड काज होयत, ओही क्रम मे प्रेमक बसातकेँ सभ क्यो बबंडर मे बदलि दियौ ताकि निर्माता लोकनि मैथिली फिल्मक धर्रोहि लगेबाक नियार करथि आ सभ सिनेमाघरक आगू हाउस फुल वला बोर्ड लागि जाइ।

जल्दी देखू आ सपरिवार, दोस महीम सभक संग देखू। एक बेर देखब त' बेर बेर देखबाक मोन हेबे करत। बेसी सोचू नहिंं एखने बिदा भ' जाउ। एसगर नहिंं जाउ , सिनेमा देखबाक मजा संगसोर मे छै...

साभार - अखिलेश कुमार झा

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