सांझ पड़ीय गेल, चान उगिये गेल
भय गेल दिन सन राति सखी हे
पाटक गेरूआ सिरमा दय सूतल
भय गेल गहुमन साँप सखि हे
एकहि नगर बसु माधव
मोर लेखे जोजन पचास सखि हे
सांझ पड़ीय गेल चान उगिये गेल
भय गेल दिन सन राति सखि हे
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