प्राची के अम्बर मे देखल,
शोभा सिन्धु समान ई।
शीतक भीजल चान ई ॥
शीतक भीजल...
मोहक चद्दरि ओढ़ि इजोरिया,
सजा रहलि जनु स्नेह सेजरिया।
नमित नयन हेमन्त बहुरिया,
हरए मृणालक प्राण ई ॥
शीतक भीजल...
गगनक फूल तरेगन चकमक,
गाँथल हार यथा करू झक-झक।
वस्त्र पहिरने उज्जर दप-दप,
ठिठुरल पूसक चान ई ॥
शीतक भीजल...
पश्चिम क्षितिजक ठोरक लाली,
लागए नयन तरेरलि काली।
आली कुमुदिनि लागि रहलि जनु,
मुहक थुकरल पान ई॥
शीतक भीजल...
पछबा सिहकि पसारए माया,
काँपए वयस बिताओल काया।
छाया ककर , ककर के जाया,
लुब्धल लोभ ललाम ई॥
शीतक भीजल....
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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