रविवार, 4 नवंबर 2018

सांझ भेल नहि अयला मुरारी लिरिक्स

सांझ भेल नहि अयला मुरारी
कहाँ अँटकल गिरधारी सखि हे
घर-घर फिरथि मातु जशोदा
सभसँ करथि पुछारी सखि हे
कारण कोन नाथ नहि अयला
इएह सोच उन भारी सखि हे
झुंड झुंड सखियन सभ अयली
कहथि जसोदा लग जाइ सखि हे
फोड़ि देलनि सिर मटुकी प्रभूजी
फोलि देलनि पट साड़ी सखि हे
कानैत-खीझैत मोहन अयला
कहथि मातु समुझाइ सखि हे
मुरली हम्मर छीनि लेलनि अछि
सभ सखियन मिलि सारी सखि हे

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