दरभंगा: मिथिला क्षेत्र के प्रसिद्ध कवि मैथिली पुत्र प्रदीप ( Maithili Putr Prdeep ) दरभंगा के लहेरियासराय में 30/05/2020 भोरे अंतिम सांस लेलैथ। मैथिली कवि प्रदीप जी के जन्म 1936 मे भेल छलनी। हुनक पैतृक गांव दरभंगा जिलाक तारडीह प्रखंड में कैथवार में अछि। मुदा ओ बेलवागंज में रहैत छलैथ।
मैथिली, संस्कृत और हिंदी साहित्य के विद्वान मैथिली पुत्र प्रदीप केर असली नाम प्रभुनारायण झा छलनी। प्रभुनारायण झा के मुख्य कृति में दर्जनों पुस्तक के प्रकाशन भेल छनि। अहिमे मुख्य रचना सीता अवतरण संपूर्ण महाकाव्य, एक घाट तीन बाट, नाम पट्ट उपन्यास, भागवत गीता मैथिली अनुवाद, दुर्गा सप्तशती, स्वंप्रभा सूत्र, श्री राम हृदय काव्य, कहुंकल कोयलिया, उगल नव चांद आदि प्रमुख रचना अछि। हिनक ''जगदंब अहिं अविलंब हमर हे माय अहां बिन आस ककर...'', विद्यापति की रचना ''जै जै भैरवी...'' के बाद सबसं बेसी प्रचलित अछि। हिनकर एकटा रचना ''पहिर लाल साड़ी उपारी खेसारी छै भूख सं भेल कारी...'' तथा ''तुं नै बिसहरिहें गे माय...'' आदि आय प्रचलित अछि।
मैथिली, संस्कृत और हिंदी साहित्य के विद्वान मैथिली पुत्र प्रदीप केर असली नाम प्रभुनारायण झा छलनी। प्रभुनारायण झा के मुख्य कृति में दर्जनों पुस्तक के प्रकाशन भेल छनि। अहिमे मुख्य रचना सीता अवतरण संपूर्ण महाकाव्य, एक घाट तीन बाट, नाम पट्ट उपन्यास, भागवत गीता मैथिली अनुवाद, दुर्गा सप्तशती, स्वंप्रभा सूत्र, श्री राम हृदय काव्य, कहुंकल कोयलिया, उगल नव चांद आदि प्रमुख रचना अछि। हिनक ''जगदंब अहिं अविलंब हमर हे माय अहां बिन आस ककर...'', विद्यापति की रचना ''जै जै भैरवी...'' के बाद सबसं बेसी प्रचलित अछि। हिनकर एकटा रचना ''पहिर लाल साड़ी उपारी खेसारी छै भूख सं भेल कारी...'' तथा ''तुं नै बिसहरिहें गे माय...'' आदि आय प्रचलित अछि।
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कवि के संगे-संग प्रदीप जी बिहार सरकार के प्रारंभिक विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में सेहो अपन सेवा देलथि। 1999 में ओ शिक्षक के पद सं सेवानिवृत भेलथि। शिक्षक के रूप में नौकरी करीते प्रदीप जी मैथिली के सेवा शुरू क देने छलथि।
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मिथिला के प्रचलित गीत 'जगदंब अहिं अवलंब हमर हे माई अहां बिनु आस केकर' मैथिली पुत्र के पहचान भेटेलनि। हुनका मिथिला रत्न, सुमन साहित्य सम्मान, देह सम्मान, मिथिला रत्न सम्मान, भोगेंद्र झा सम्मान सहित दर्जनों पुरस्कार सं सेहो सम्मानित कैल गेलनी।
एकदिन सब कऽ चलक छई, छोरि अपन धन-धाम।मात्र जननी जन्म भूमिक संग रहतैय नाम॥
1951 में गुलाबक बहार सँ शुरू भेल साहित्य सृजन यात्रा जीवन परयंत्र अन्वरत चलैत रहलनि। जाही में 33टा पोथी प्रकाशित आ 2टा अप्रकाशित के स्वरुप में अछि।
1. राघवलीला महाकथा
2. नटवरलिला महाकथा
3. भक्ति स्मारिका
4. नामपट
5. अन्हारसँ इजोतमे आउ
6. भक्ति गीत - 1
7. भक्ति गीत - 2
8. श्रीमद्भागवत गीता (मैथिली)
9. आरती एवं स्तुति गीत प्रदीप
10. प्रमुख आरती स्तुति संग्रह
11. मैथिली द्वादश स्त्रोत एवं स्तुति
12. कामाख्या परिभ्रमण (हिन्दी)
13. श्री सीतावतरण त्रिकाल साधना सत्संग महाविज्ञान
14. त्रिशूलिनी
15. एक घाट तीन बाट
16. सौहाग नाटक
17. जगदम्ब अहि अबलम्ब हमर (पुस्तक)
18. श्री रामहृदय
19. गुलाबक बाहर
20. क्रांति गीत प्रदीप
21. साधना प्रर्थना
22. नागेश्वर भक्तिमाला
23. स्वयं प्रभा कथाकाव्य
24. उगल नव चान
25. गीत प्रदीप
26. अमोल बोल
27. टुन्नीदाइक सोहाग
28. कुहुकल कोईलिया
29. अष्टदल
30. आरती संग्रह (सावित्री सत्र)
31. श्री सीतावतरण काव्य
32. श्री सीतावतरणसम्पूर्ण महाकाव्य (सीतातत्व)
33. श्री सीतावतरणसम्पूर्ण महाकाव्य ( तिरहुत सँ तिरुपतिधरी)
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