सोमवार, 13 दिसंबर 2021

लोक देवता बिहुला विषहरी के लोक कथा

Bihula Bishahari Lok Katha : अंग के लोकगाथा के मुताबिक बाला - बिहुला विषहरी पूजा के लेल अंग प्रदेशक राजधानी चंपा नगरी (भागलपुर) मे उद्भव स्थल अछि। एतय माता विषहरी के सती बिहुला के कारण ख्याति प्राप्त भेलनि। भगवान शंकर जी के दत्तक पुत्री विषहरी माता भगवान शंकर जी जंका ख्याति प्राप्त करय चाहैत छलथि। अहि लऽके भगवान शंकर सं अपन इच्छा व्यक्त केलथि। भगवान शंकर कहलखिन, हमर एकटा भक्त अंग प्रदेश मे अछि अगर ओ अहाँक पूजा श्रद्धा भाव सं कऽ लैत अछि, तऽ अहाँक ख्याति भेट जायत।


विषहरी माता चांदो सौदागर सं अपन इच्छा व्यक्त केलखिन तऽ, चांदो सौदागर प्रस्ताव कऽ ठोकरा देलनी। ओ कहलैथ जे हम शिव केर भक्त छी। अहिसँ माता विषहरी क्रोधित भऽ गेलथि आ चांदो सौदागर कऽ सतेनाय शुरू कऽ देलथि। अहि क्रम मे चांदो सौदागर के छह पुत्र के हत्या कऽ देल गेल। संपत्ति के तितर-बितर कऽ देल गेल। सतमा आ आखिरी पुत्र बाला के बियाह सती बिहुला सं संपन्न भेलनि। एकरा अर्थात अपन वंश के बचेबाक लेल चांदो सौदागर भगवान विश्वकर्मा के आह्वान केलथी।

विश्वकर्मा द्वारा बाला के जीवित रखबाक लेल एकटा लोहाक बांसक घर बनाओल गेल, ताकि कुनो ठाम सं सर्प के प्रवेश नै भऽ सकै। इ घर अखनो चंपानगर मे मौजूद अछि। अहि बीच विषहरी विश्वकर्मा के लऽग पहुंच के चेतावनी देलनि, जे एकटा बाल भरी छेद घर मे छोड़य पड़त, नै तऽ परिणाम ठीक नै हैत। भगवान विश्वकर्मा माता विषहरी के बात माइन लेलखिन।


इहो पढ़ब:-

● अंधराठाढ़ी के कन्दर्पी घाटक पर भेल छल मिथिलाक सबसं बड़का भीषण युद्ध


सुहाग राइतिक दिने विषहरी के भेजल दूत नाग रात्रि 12 बजे सिंह नक्षत्र के प्रवेश होएते बाला लखेंद्र के डइस लेलक, जाहिसँ हुनक मृतु भऽ गेलनि। बिहुला सती छलीह, ओ हाइर नै मनलनी।सती बिहुला चंपा नदी के जल मार्ग सं मंजूषा नाउ पर चइढ़ कऽ देवलोक जाइत छथि आ अपन पति लखेंद्र के जिंदा लऽ के आनैत छथि।

देवलोक सं देवराज इंद्र माता विषहरी सं अनुरोध करैत छथिन आ सती बिहुला के महत्व पर चर्चा करैत छथिन। सती बिहुला सं माता विषहरी फेर वैह बात दोहराबैत छथिन, जे चांदो सौदागर के कहने छलखिन। सती बिहुला के प्रस्ताव पर चांदो सौदागर ना-नुकूर करैत हामी भैर देलन आ कहलैथ जे दहिना हाथ सं भगवान शंकर जी के आ बांमा हाथ सं माता विषहरी के पूजा करब, तहिया सं आय  धरि विषहरी पूजा मे बांमा हाथे सं पूजा होइत अछि।


इहो पढ़ब:-

● मिथिलाक लोग पर्व सामा चकेबा के कहानी


लोक कथाक अनुसार बताओल गेल अछि जे मंजूषा एकटा नाव अछि, जेकर निर्माण शिल्पराज विश्वकर्मा जी स्वयं तैयार केने छलखिन। एकर भित्ती पर लहसन मालाकर चित्रकारी केने छलाह। अहि चित्रकारी के माध्यम सं हुनक मृतुक घटना के वर्णन कैल गेल छल। अहि नाव सं फेरो सती बिहुला वापस सेहो आयल छलीह। तैं तहने सं मंजूषा कला Manjusha Art के महत्व सेहो बइढ़ गेल।

1 टिप्पणी:

  1. मिथिलाक प्रायः उपेक्षित देवी देवता आ वीर वीरांगना क परिचय वंदनीय अछि।जय मिथिला,जय मैथिल।
    सरोज लाल दास,जोरहाट,असम।

    जवाब देंहटाएं

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !