बुधवार, 8 दिसंबर 2021

अंधराठाढ़ी के कन्दर्पी घाट पर भेल छल मिथिलाक सबसं बड़का भीषण युद्ध

सन 1745 मे कन्दर्पी घाटक लड़ाई मातृभूमि के रक्षा आ कर मुक्त के लेल एतय के बीर योद्धा लड़ने छल। कन्दर्पी घाटक विजय स्तम्भ ओहि वीर सपूतक स्मरण मे निर्मित अछि। जे मिथिलावासि अपन मातृभूमि के लेल प्राण न्योछावर केने छलखिन। 


History Of Kandarpi Ghat : कंदर्पी घाट अंधराठाढ़ी प्रखंडक हरना गांव मे कमला नदीक पूब कात अवस्थित अछि। झंझारपुर के तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी डाॅ. रंगनाथ चौधरी 20 जनवरी 2010 के ओहि अमर शहीद के याद मे एकटा मिथिला विजय स्तम्भ के आधारशिला रखने छलथि। जे चाइर साल में बैन क तैयार भेल। बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री नीतिश मिश्रा 20 फरवरी 2014 के अहि विजय स्तम्भ के अनावरण किया।


इहो पढ़ब:-

● एकमात्र अंकुरित सरस्वती - गम्हरिया (बेनीपट्टी)

कन्दर्पी घाटक लड़ाइ राजस्व मुक्त के लेल लड़ल गेल अछि वर्ष 1745 मे अलीवर्दी खां आ बबरजंग के बीच भयंकर लड़ाइ लड़ल गेल छल। मिथिला नरेश नरेंद्र सिंह अलीवर्दी खां के लड़ाइ मे बहादुरी के संग सहायता केने छल। ओहि लड़ाइ मे अलीवर्दी खां के जीत भेल छल। लड़ाइ मे सहायता करबाक कारण अलीवर्दी खां मिथिला राज्य के राजस्व मुक्त क देलक। 1748 मे अलवर्दी खां के जमाय हैवत जंग के अफगानि माइर देने छल। 1752 मे राम नारायण के सूबेदार क पद भेटल छल। राम नारायण राजस्व लेबाक मामला मे बहुते क्रुर मानल जाइत छल। राम नारायण के जहन मिथिला सं राजस्व नै भेटबाक बात पता भेल त ओ राजा नरेंद्र सिंह सं राजस्व के मांग केलक। मिथिला नरेश नरेंद्र सिंह राजस्व दय सं मना क देने छल। अहि मनाही क उपरांत पटना सं भिखारी महथा के तिरहुत फतह करबाक लेल भेजल गेल। भिखारी महथा करीब पांच हजार सैनिक क संग आक्रमण क देलक। इ लड़ाई हरना के मैदान मे लड़ल गेल छल। हरना गांव कन्दर्पी घाट के बगल मे आयो बसल अछि।


इहो पढ़ब:-

● जनेऊ मंत्र - वाजसनेयि यज्ञोपवीत मंत्र - छन्दोग जनेऊ मंत्र


इतिहासकारक अनुसार नरेंद्र सिंह के दादा उमराव सिंह अहि युद्ध मे शहीद भेलाक पश्चात नरेंद्र सिंह अपने लड़ाइ मे कूइद गेल छलखिन। अपन राजा के लड़ाइ करैत देख सेना के संगे-संग आम अवाम सेहो जातिवाद सं ऊपर भ लड़ाइक मैदान मे आबि गेल आ 1753 के 5 अक्बटूर सं 7 अक्टूबर धरि भीषण लड़ाइ भेल आ नरेंद्र सिंह ओहि लड़ाइ मे विजयी भेलैथ। हरना के कंदर्पी घाट के लड़ाइ मे अतेक यज्ञोपवीत धारि के प्राण गेल जे युद्ध के बाद अहि रणभूमि सं रक्त आ बाउलू सं सनल 74 सेर जनेऊ भेटल छल। अहि सं अनुमान लगायल जा सकैत अछि जे कतेक गैर यज्ञोपवीत धारि के शहादत भेल हैत। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !